मुझे भी कुछ कहना है
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थाम के मेरी नन्ही उंगली
पहला सफ़र आसान बनाया
हर एक मुश्किल कदम में पापा
तुमको अपने संग ही पाया
कितना प्यारा बचपन था
जब गोदी में खेला करती
पाकर तुम्हारे स्नेह का साया
बड़े-बड़े मैं सपने बुनती
लेकर व्यक्तित्व से तुम्हारे प्रेरणा
देखो आज कुछ बन पाई
तुम्हारे हौसले और विश्वास के दम पर
एक राह सच्ची मैं चुन पाई
बदला मौसम, छूटा बचपन
और मैं बच्ची नहीं रही
बन गई हूँ अब एक नारी
हूँ अब भी तुम्हारी छुटकी वहीं
सच कहती हूँ पापा मानो
मेरे तो भगवान तुम्हीं हो
सृष्टि के त्रिदेव से बढकर
मेरे लिए महान तुम्हीं हो
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