Menu
blogid : 1876 postid : 1036

क्या फल और सब्जियां भी इंसान के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं (व्यंग्य/लेख)

मुझे भी कुछ कहना है
मुझे भी कुछ कहना है
  • 46 Posts
  • 1272 Comments

laukiआज अख़बार के पन्ने पलटते-पलटते एक खबर पर ज्यों ही नजर पड़ी, तो नजर हट नहीं पाई…. अरे अरे ज्यादा खुश मत होइए, हमारी नजर जीरो फिगर वाली लोलो की फोटो पर नहीं अटकी थी… खबर ही कुछ ऐसी थी कि आपकी सांस भी कुछ देर के लिए तो आराम फरमा ही लेगी…. लिखा था “लौकी का जूस पीकर एक व्यक्ति की मौत और पत्नी अस्पताल में”…. और मरने वाला भी कोई आम आदमी नहीं, एक वैज्ञानिक…… खबर ने हमें सोचने पर विवश कर दिया… अब लौकी के जूस पीने से भी क्या किसी की मौत होती है…. अरे भाई बाबाजी तो रोज ही कहते हैं लौकी के जूस पीने से आदमी की उम्र बढ़ती है… बात हमारी उलटी खोपडिया में घुस नहीं पा रही थी…

सोचते-सोचते सोच ही गए कि क्यों नहीं हो सकती है मौत लौकी के जूस से…. अब आजकल साग-सब्जियों में पहले वाली बात कहाँ रही… ना तो वो स्वाद रहा और ना ही वो रंगत… बैंगन की सब्जी बैगन जैसी नहीं लगती और मेथी की खुश्बू ने भी दम तोड़ दिया है… पहले तो रसोई से आती खुश्बू से ही पता चल जाता था आज कौन सी सब्जी बन रही है… आजकल खाकर भी नहीं समझ पाते कि ये सब्जी कौन सी है…

यूँ तो आजकल सभी सब्जियां साल भर मिलने लगी हैं… पर अब वो स्वाद कहाँ… पहले जो गोभी सिर्फ ठण्ड में ही मिला करती थी आजकल जून की भरी गर्मी में भी बसियाती हुई मिल जाती है, जिसे खाओ तो लगता है मुंह का स्वाद ही बिगड़ गया हो …. सालों पहले दादी-नानी के द्वारा सुखा कर रखी जाने वाली मौसमी सब्जियों का भी स्वाद इससे ज्यादा अच्छा होता था…

पर इसमें सब्जियों का दोष नहीं है… अब जब किसान जरुरत से ज्यादा रसायनों का उपयोग करेंगे तो उसका असर स्वाद पर तो होगा ही ना… किसान जैविक खेती को छोड़, रासायनिक उर्वरकों के पीछे अंधे होकर भाग रहे हैं…. जरुरत ना होने पर भी कीटनाशी रसायनों से फसलों को तर किया जा रहा है… कहीं लौकी-कद्दू में हार्मोन्स की सुइयां टोची जा रहीं हैं… अब इन सब जहर का असर सब्जियों पर तो होगा ही ना…

juicesऔर तो और लोगों का दिमाग भी कम खुरापाती नहीं है…. अब बाबाजी ने कह दिया कि लौकी का जूस पीने से उम्र बढ़ती है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप नाश्ते, लंच और डिनर में सिर्फ और सिर्फ लौकी ही खाए और लौकी ही पीयें… हमारे एक मित्र हैं, दोनों ही मियां-बीवी दिनभर में करीब ६-७ तरह के फलों/ सब्जियों के रस पीते ही रहते हैं… ८ बजे त्रिफला, १० बजे एलोवेरा, १२ बजे आंवला, २ बजे बेल, ४ बजे करेला और ना जाने क्या-क्या…. वो भी बिना किसी चिकित्सकीय सलाह के… दिन में एक टाइम तो वो इस तरह के रसों से ही अपना पेट भरते हैं…

पर किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती है… प्राकृतिक चीजों का उपयोग करें, पर अंधे होकर नहीं… किसी भी प्राकृतिक चीज़ों के प्रयोग से पहले किसी विशेषज्ञ से पूरी जानकारी अवश्य लें कि इस्तेमाल की विधि क्या है और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करना लाभदायक होगा… और सबसे खास उपयोग के समय क्या-क्या निषेध हैं….

वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ सब्जियों और फलों, खासकर कद्दू वर्गीय (जिसमें कद्दू, लौकी, तरोई, करेला, खीर, ककड़ी आदि आते हैं) और कड़वे स्वाद वाली सब्जियों में (करेला छोड़कर, करेला तो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है), थोड़ी मात्रा में टॉक्सिन होता है, जो कि जहरीला होता है… इसकी थोड़ी मात्रा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती है… पर टॉक्सिन की ज्यादा मात्रा शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकती है… इसलिए अब अगली बार जब भी फलों और सब्जियों का उपभोग करें तो इन छोटी-छोटी बातों का जरुर ध्यान रखें, आखिर ये आपकी सेहत का सवाल है…

किसी भी सब्जी या फल को उपयोग से पहले अच्छी तरह धोये.

बिना धुली हुई सब्जी या फल ना खाएं.

अगर नमक मिले पानी से धोयेंगे तो टॉक्सिन का खतरा कम हो जायेगा.

कच्ची सब्जियों जैसे सलाद और फलों पर नमक डाल कर ही खाए.

कड़वे स्वाद वाली सब्जी जैसे खीरा को छीलकर ही खाए, इनके छिलकों में कड़वापन टॉक्सिन के कारण ही होता है..

अगर छीलने के बाद भी खीरा या लौकी कड़वी लगे तो उपयोग में ना लाये.

जहाँ तक हो सके बिन मौसम की सब्जियां और फलों का उपयोग ना करें.

डिब्बाबंद सब्जियों और जूस से जितना हो सके परहेज करें, बेहतर होगा ताजे फल और सब्जियां ही उपयोग में लायें.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh