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आजकल शादियों का मौसम जोरों पर है. हमारे आस-पास या रिश्तेदारी में कहीं न कहीं रोज कोई न कोई शादी हो ही रही है. भारत में पुराने समय से ये प्रथा चली आ रही है कि शादी से पहले वर-वधु के गुण मिला लिए जाये और ये प्रथा अभी भी कायम है. ऐसा माना जाता है कि जितने ज्यादा गुण मिलेंगे, विवाह उतना सफल रहेगा. पर आज के परिवेश में मुझे लगता है कि वर-वधु के गुण मिलाने से ज्यादा जरुरी है सास-बहु के गुणों का मिलना. क्योंकि आये दिन हमें सास-बहु के मतभेद के किस्से सुनने मिल ही जाते हैं.
आखिर ऐसा क्यूँ होता है कि सास और बहु की कुंडली मिल नहीं पाती है? क्यूँ दोनों में हमेशा ३६ का आंकड़ा रहता है? इसका जवाब सास भी जानती है और बहु भी पर दोनों अपनी-अपनी जगह मजबूर हैं. और सबसे ज्यादा मजबूर तो बेटा/पति होता है, जो पिस रहा होता है माँ और पत्नी के बीच.
अगर हम सास के नजरिये से देखे तो उसे लगता है कि बहु के आने से बेटा उससे दूर हो गया है. आज तक जो बेटा उसके सबसे करीब था, उसके जीवन में अब किसी और का स्थान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. यह भावना हर सास के मन में कभी ना कभी जरुर आती है कि दो दिन पहले आई बहु ने उसका बेटा उससे छीन लिया है. और अगर बहु थोड़ी ज्यादा गुणवान है, तब तो मामला ज्यादा ही बिगड़ जाता है. सास को लगता है कि ये मेरी बहु नहीं बल्कि मेरी प्रतिद्वंदी है. उस पर ये टी वी पर आने वाले सासु माँ के हर समय प्रिय रहने वाले सास-बहु के धारावाहिकों ने रही सही कसर पूरी कर दी है. उन धारावाहिकों का रोना-धोना देखकर हर सास को यहीं लगता है कि दुनिया कि सबसे दुखी सास वहीँ हैं.
बहुए जो कि नए ज़माने की नई नई पौध होती हैं, उनमे सहनशीलता की काफी कमी होती है. सास ने कुछ कहा नहीं कि मुँह फूल गया. सास कि हर बात उन्हें दकियानूसी लगती हैं. सास के इच्छा के विरुद्ध काम करना वो अपना हक समझती हैं. साथ ही उसके मन में कहीं ना कहीं पहले से ही ललिता पंवार वाली सास कि तस्वीर बनी होती है.
सास-बहु का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता होता है जहाँ आपसी मनमुटाओं और तकरार होना दैनिक जीवन का हिस्सा है. पर आपसी विश्वास और एक दुसरे के प्रति ज़िम्मेदारी समझने से इस रिश्ते में प्यार बढ़ सकता है. सास को चाहिए कि वो बहु को अपनी बेटी जैसा प्यार दे. बहु के साथ ऐसा व्यव्हार कभी ना करें जो अपनी बेटी के साथ कभी नहीं करना चाहेंगी. बहु तो आज के ज़माने की समझदार युवती है. उसे चाहिए की छोटी-छोटी बातों को नज़रंदाज़ करके घर का माहौल खुशनुमा बनाये रखे. सास भी तो माँ की तरह होती है, या यूँ कहूँ कि माँ से बढ़कर होती है तो गलत नहीं होगा. क्यूंकि यहीं सास है जिसने आपको पति जैसा प्यारा उपहार दिया है. जब आप माँ की बातों का बुरा नहीं मानती तो फिर सास की बातों का बुरा क्यूँ मानना. आज समय की यहीं मांग हैं कि सास अपनी बहु में अपनी बेटी और बहु अपनी सास में अपनी माँ को देखे तो ये सास बहु के झगड़े हमेशा के लिए ख़त्म हो जायेंगे.
अगर आप सास हैं तो
अगर आप बहु हैं तो
अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान हर सास और बहु रखे तो इससे प्यारा रिश्ता और कोई नहीं हो सकता है.
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