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मजबूत होते भारत- अमेरिकी रिश्ते

aditya
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इस धरा में एक दुसरे के विपरीत छोर पर अवस्थित राष्ट्र, भारत और अमेरिका वर्तमान समय में दो अलग अलग मुकाम पर खड़ा है. एक तरफ जहां अमेरिका को महा शक्तिशाली राष्ट्र के तौर पर समूचे विश्व में ख्याति प्राप्त है, वही दूजी तरफ, हमारा देश भारत अपने बुरे अतीत और कुशासन के पंजों में कई वर्षों तक फसे होने के कारण आपेक्षिक विकास से महरूम रहा है .बहरहाल, आजकल भारत में जिस कदर विकास के आयाम देखने को मिल रहे हैं, वो निश्चित रूप से भारत की दशा व दिशा में ख़ासा परिवर्तन लायेंगी. वर्तमान समय में, भले ही भारत सरकार की विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर उंगलियाँ उठाती रही हो, उनकी हर नीतियों को दोषपूर्ण बताती रही हो, पर सच्चाई यही है कि मोदी सरकार ने जो 2 वर्षों के भीतर कर दिखाया है, वो उनकी आखों को खटक रहा है. अब वाकई में सम्पूर्ण विश्व का नजरिया हमारे देश व देशवासियों के प्रति बदल चूका है, उन्हें यहाँ संभावनाओं का सागर नगर आने लगा है. विपक्षी मानें न मानें, पर मोदी सरकार के बनने के पश्चात् भारतीय परिदृश्य में कई व्यापक बदलाव आये हैं.

यूँ तो हमारा देश भारत, सदियों से ही विश्व चर्चा व आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है. पर बीते कुछ शताब्दियों में भारत ने जितने संघर्ष झेले, जितनी तपिशें झेलीं, वो दुसरे राष्ट्रों के मुकाबले कहीं ज्यादा है. जो राष्ट्र कभी “ सोने की चिड़ियाँ “ के रूप में समग्र विश्व में ख्यातिवान थी, आज वही राष्ट्र अपनी बदहाली से उबरने की कोशिश में है. इस दयनीय स्थिति के पीछे एक बुरा इतिहास भारत से जुड़ा हुआ है. यह इतिहास अब भी, जब हमें स्मरण हो आता है, तो मन में रोष उत्पन्न होता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बाहरियों ने ही भारत को कंगाली के गहरे गर्त की ओर धकेलने की कोशिश की, बल्कि इस कड़ी में देश के कई दगाबाजों के नाम भी शामिल हैं. खैर, आजादी मिलने के पश्चात भी अगर हमारे देश के हुक्मरानों ने इमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया होता, तो अब तक भारत की सूरत और सीरत बदल चुकी होती, पर अफ़सोस ऐसा नही हुआ! जो लूटपाट पहले दमनकारी किया करते थे, आजादी के बाद हमारे हुक्मरानों ने भी उसे नये रूपों में ज़ारी रखा.

भारत के बुरे अतीत के प्रभाव के बारे बात करते-करते जब हम वर्तमान की सच्चाईयों से रूबरू होते हैं, तो कुछ आंकड़े संतोष देते हैं. अब भारत को एक विकासशील राष्ट्र के तौर पर देखा जाने लगा है. ऐसी अलख भी जगी है कि और कुछ ही दशकों पश्चात् भारत एक महाशक्तिशाली राष्ट्र बनने का गौरव हासिल कर लेगा. भारत को लगातार हर क्षेत्र में मिल रही संतोषजनक कामयाबी इन सपनों व उम्मीदों को उड़ान प्रदान करती है. बीते दिनों, अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राजकीय यात्रा हेतु आमंत्रण भेजा है. इससे पहले ओबामा, अपने कार्यकाल में 10 राष्ट्राध्यक्षों को राजकीय यात्रा में बुला चुके हैं. अबकी बार हमारे देश के नेत्रित्वकर्ता को वहां बुलाया जाना, निश्चित ही गौरवपूर्ण है. वैसे अगर देखा जाए तो भारत- अमेरिकी रिश्तों की डोर लगातार मजबूत होती जा रही है. पिछले दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार अमेरिका भ्रमण कर चुके है, हर बार उन्हें वहां जोरदार मेहमान नवाजगी मिली है. सिर्फ इतना ही नहीं, अमेरिका लगातार भारत का वैश्विक स्तर पर समर्थन करने लगा है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत से बढ़ते सहयोग को सदी को परिभाषित करने वाली साझेदारी बताया है. हालांकि कई मुद्दों पर दोनों देशों की असहमति है, पर बावजूद इसके दोनों के रिश्ते अनवरत मजबूत हो रहे हैं. अमेरिका ने भारत को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का ऐलान किया है. हमारे देश भारत और अमेरिका के मध्य व्यापारिक अच्छे हो रहे हैं, दोनों देशों के मध्य सालाना करीब 100 अरब डॉलर का कारोबार हो रहा है. अमेरिका, गुजरात में 6 नुक्लेअर रेअक्टेर लगाने वाला है, इन सबसे तौर पर समझा जा सकता है कि अमेरिका की रूचि लगातार हमारी ओर बढ़ रही है. हम इस बात को भी नज़रंदाज़ नहीं कर सकते हैं कि वर्तमान समय में रिश्ते महज आर्थिक स्वार्थों तक सिमटकर रह गये है, और साफ है कि अमेरिका को भी फायदा होता होगा, तब ही तो उसने भारत के साथ सबंधों को मजबूती देने के लिए कई कदम अख्तियार किये हैं. बहरहाल, भारत तो ज़रूर चाहेगी कि यह रिश्ता आगे भी चलता रहे. अच्छे संबंधों के कारण भारत ये भी चाहेगी कि अमेरिका मसूद अजहर के मामले में पाकिस्तान पर दबाव डाले.

ऐसा नहीं है कि हमारे संबंध केवल अमेरिका से ही अच्छे हुए हैं, बल्कि मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत की कई देशों के साथ संबंधों में सुधार हुआ है, देश की छवी बदली है. उम्मीद है, आने वाले दिनों में भारत का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढेगा व भारत समूचे विश्व के समक्ष एक मिसाल स्थापित करेगा..

आदित्य शर्मा
adityasharma.dmk@gmail.com

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