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मेरे भारत का झंडा तब बिन शोकसभा झुक जाता है

Awara Masiha
Awara Masiha
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देख तिरंगे की लाचारी
कैसे हर्शाएं हम
आजादी पर कैसे नांचे
कैसे झूमे गायें हम

भारत माँ का झंडा जब
पैरों के नीचे आता है
और जहाँ अफ्जालों पर
मार्च निकाला जाता है
जहाँ देश में दीन-हीन कोई
पत्ते चाटकर सोता है
भूख की खातिर कोई यहाँ
जब बच्चे बेच कर रोता है
जहाँ अमीरों के हाथो से
बेटिया नोची जाती हैं
अंग बेच कर देह-वसन के
बोटियाँ नोची जाती हैं
जब कोई सांसद संसद में
महिला को गाली दे जाता है
मेरे भारत का झंडा तब
बिन शोकसभा झुक जाता है
इस झंडे को किस तरह
दूर तलक फहराएं हम
विजय पताका कैसे कह दे
कैसे दुनिया पर छायें हम
आजादी पर गर्व हमें भी
पर ये कैसी आजादी है
जे एन यु में भारत माँ के
विरुद्ध नारे लगवाती है
भारत की एकता तब
खंडित खंडित हो जाती है
जब लालचोक पर झंडा फेहराने
को पाबन्दी हो जाती है

जब नेता गरीबी के बदले
गरीब हटाने लग जातें हैं
बी पी एल से सामान्य के
कार्ड बनाने लग जाते हैं
पकवानों के चक्कर में
रोटी महंगी हो जाती हैं
सड़कों पर अस्मत लुटती है
पर कोई शोर नही होता
किसानो की आत्महत्या पर
जब राजभवन में कोई नहीं रोता
भारत माता चुपके-चुपके
तब अपने आंसू बहाती है
आंसुओ की कीमत जानो
जनता का उद्धार करो
ख़ामोशी खल जाएगी हमको
देशद्रोहियों पर पलटवार करो
जो भारत माता को
नोचकर खाने वाले हैं
जो बेटियों की इज्जत पर
हाथ लगाने वाले है
इस आजादी की वर्षगांठ पर
ऐसे हाथ काट कर फेंको तुम
जो जय भारत न बोले
उसकी जीभ उखाड़कर फेंको तुम
करो स्थापना शांति की
और संस्कार भी गढ़ दो तुम
तभी आजादी के गीतों से
गुंजायमान ये धरती होगी
नहीं तो वो दिन दूर नहीं
जब फिर नई क्रांति होगी

नया सवेरा है, नए है दिन
नए नियम बनाओ तुम
इस धरती पर जन्म लिया
तो देशभक्त बन जाओ तुम
उसके बाद लाल किले पर
आजादी के गीत सुनाओ तुम!

© Puneet Sharma

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