Awara Masiha
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मैं वृक्ष हूँ हरियाली हूँ मैं
सम्पदा अनमोल हूँ
धरती पर खुशहाली हूँ मैं
मैंने देखें है कई पल,
साल, युग और सदियाँ
जन्म लेती विलुप्त होती
कई जाती और शक्तियां
तुम धर्म जाती में बंटे मानव
अपनी सभ्यता पर इतराते हो
ईश्वर का अस्तित्व बचाने में
अपने शीश भी कटाते हो
तो मैं तुम्हे जीवन देता
वक्त पर भोजन देता
सूर्य से छाया और
प्यास में पानी देता
तुम्हारे ईश्वर की तरह
बदले तुमसे मैं क्या लेता?
मेरे लिए तुम्हारे मन में
क्यूँ नही ईश्वर सा प्रेमविचार
कठोर हृदय के संग हर दिन
क्यूँ मेरी जड़ो पर करते प्रहार
सभ्यतायें हैं हजारों
वर्ष से आसीन
धरती पर अस्तित्व मेरा
किन्तु है बहुत प्राचीन
इस प्राचीनता को खत्म मत करो
मेरा अस्तित्व नष्ट मत करो
तुम जी नही पाओगे
धन तो कमा लोगो मगर
ओक्सिजन न कमा पाओगे
Written and ©Puneet_Sharma Written on Dated 23-04-2017
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