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हे कवि! तुम धन्य!

Awara Masiha
Awara Masiha
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सपनो के संसार में जीना,
शब्दों से खिलवाड़ मचाना
नदिया को दुल्हन सा सजाना
पर्वत को प्रहरी बतलाना
राई को पहाड़ बनाना
सुप्त शिराओ में उल्लास जगाना
व्याकुल मन में प्रेम जगाना
और कभी समाज को दिशा दिखाना
वीरों के मन हो ओज मुखर
ऐसा ओजस्वी संगीत बजाना
जीवन पथ पर कर्त्तव्य अनेक
तुम अपने कर्म करते जाना
हे कवि! तुम धन्य!
धन्य तुम्हारी साधना!
राष्ट्र चेतना का अलख
तुम प्रतिपल जगाते जाना!

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