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प्रधानमंत्री के नाम,अपंग शिक्षक का पैगाम-श्रीनाथ आशावादी

बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
बेनाम कोहड़ाबाज़ारी उवाच
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ये मेरे पिताजी श्रीनाथ आशावादी द्वारा रचित रचना है , जो उन्होंने विकलांग होने के बाद लिखी है .
माननीय प्रधानमंत्रीजी,
आपने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इक्कीस जून को योग दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त करा कर भारत क़ी महिमा बढ़ाई है . उसके लिए आपको हार्दिक बधाई. मैं ब्रेन हेमरेज के कारण लकवा ग्रस्त हो गया था . विकलांग होने के बावजूद नियमित रूप से योगाभ्यास कर स्वस्थ हूँ . मैं प्रति दिन योगभ्यास करने से पहले स्वरचित प्रार्थना करता हूँ जो मैं आपके पास भेज रहा हूँ . ज्ञातव्य है क़ी ईश्वरवादी , अनीश्वरवादी एवं हर धर्म के व्यक्ति इस प्रार्थना में रूचि लेंगे . कृपया योग दिवस “इक्कीस जून” को आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम में इसे शामिल किया जाये .
आपका प्रशंसक
श्रीनाथ आशावादी
ग्रा.+पो. कोहरा बाजार , भाया-दाउदपुर
छपरा , सारण, बिहार -८४१२०५
मोबाईल-०९९७३५५४१५५
प्रस्तुत है मेरी स्वरचित रचना :
मन तू साथी , सब कुछ भूल कर ,
अंतर्मन से ध्यान करो .
प्रति दिन आयु बढ़ती जाये
ध्यान मगन प्राणायाम करो .
कलुष भाव को सदा मिटाकर
दिल से भय का नाश करो .
अपने को तू स्वस्थ बना कर
निज में ही प्रकाश भरो .
“मैं” ही सबसे ऊँचा है
तू “मैं ” में अंतर्ध्यान धरो
.
काम , क्रोध ,मद , लोभ हटाकर
स्वयं कि ही पहचान करो .
सारा जगत यह सपना है
तू भली भांति यह देख रहो .
एक दिन सपना टूट जायेगा ,
मानस में यह ज्ञान भरो.
मैं हु सुखी स्वाधीन जगत में
अब तो हूँ उन्मुक्त यहाँ .
यही सोच ना तनिक फिक्र है
मुझको अब निश्चिन्त करो

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