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आप के दामन से अन्ना ने तो अपने आप को पहले ही अलग कर लिया था।मगर पार्टी में टिकटों को लेकर जिस तरह की उठा-पठक चल रही है, कम से कम उससे तो यही लगता है की आप के बागी विधायक विनोद कुमार बिन्नी की बात सही थी। हम आप की खिलाफत नहीं कर रहे मगर उससे जुड़े आम और खास कार्यकर्ता के दर्द को सामने लाने की कोशिश कर रहे है। टिकट बँटवारे को लेकर आप के खास कार्यकर्ता कुमार विश्वास और शाजिया इल्मी की नाराजगी केजरीवाल पर सवाल खड़ा करती है। साथ ही सवाल इन दोनों नेतओं पर भी खड़ा होता है , क्योकि कुमार की एक पुरानी विडियो सामने आयी है जिसमें वो मोदी के विकास की तारीफ करते नजर आते है और शाजिया अपनी पसंद की सीट से चुनाव लड़ना चाहती है । कुमार अमेठी के चुनाव प्रचार में पार्टी नेतृत्त्व की और से साथ ना मिलने से नाराज थे ,और ट्विटर पर कुछ शायराना अंदाज में केजरीवाल पर हमला बोल रहे थे। मगर जैसे ही केजरीवाल की तरफ से जवाबी बाण आया , उस से कुमार विश्वास पूरी तरह हिल गए। क्योकि केजरीवाल के बाण पर मोदी बैठे थे । कुमार के दर्द की असली दांस्ता यही से शुरू होती है क्योकि केजरीवाल इशारो में ही कुमार को मोदी भक्त कह डालते है ।
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बाण का प्रहार इतना तेज था की कुमार तबसे गुम से हो गए और शाजिया अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है क्योकि चांदनी चोक से उनकी जगह मीडिया से आए आशुतोष को जो टिकट मिल गया।अब किसी की पकाई खिचड़ी और कोई खाए तो दर्द तो होता ही है, क्योंकि सालों से शाजिया ही दिल्ली से मेहनत कर रही थी । इससे पहले दिल्ली के जानेमाने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने टिकट बँटवारे से नाराज होकर पार्टी से अपना इस्तीफ़ा दे दिया । उन्होंने यहाँ तक कह डाला की “पार्टी में बड़े नामों को तरजीह दी जा रही है और आप एक प्राइवेट लिमिटेड पार्टी की तरह काम कर रही है”। वहीं कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले आप नेता धर्मवीर सिंह भी पार्टी की कथनी और करनी में अँतर बता पार्टी से इस्तीफा दे चुके है । वही दक्षिणी दिल्ली से कर्नल देवेंदर शहरावत को अचानक टिकट दिए जाने से वहाँ के आम कार्यकर्ता नाराज हैं । आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य भी केजरीवाल के खिलाफ हो चुके है।संस्थापक सदस्यों ने भी केजरीवाल के घर पर व् पार्टी के कार्यालय पर प्रदर्शन करके अपना विरोध जताया । जिसके चलते पार्टी के अंदरूनी लड़ाई खुलकर सड़क पर आ चुकी हैं। पार्टी संस्थापक सदस्य केजरीवाल पर पार्टी के संविधान के उल्लंघन के अलावा कई संगीन आरोप लगा रहें हैं ।
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संस्थापक सदस्यों ने केजरीवाल से लिखित में 11सवाल पूछे ,सवाल इतने तीखे थे की केजरीवाल पर उनका कोई जवाब नहीं बना । उनके अनुसार जब लोकसभा उम्मीदवार पहले से ही तय थे तो आम लोगो को अप्लाई करने के लिए क्यों कहा गया और भ्रष्टाचार के आरोपियों को टिकट क्यों दिए गए । पार्टी कार्यकर्ता यही नहीं रुके उन्होंने केजरीवाल से नवीन जिंदल के खिलाफ ना बोलने पर भी सवाल किया । इसके अलावा आतंकवाद समर्थक उम्मीदवार रजा मुज्जफर भट्ट से लेकर नक्सल समर्थक सोनी सूरी , विनायक सेन और कमल चेनाय पर पार्टी की खामोशी पर सवाल पूछे । नाराज कार्यकर्ताओ ने उतराखंड और हिमाचल के मुख्यमंत्री के खिलाफ पार्टी क्यों नहीं बोल रही इस पर भी जवाब माँगा । ऐसे में जो लोग केजरीवाल को अभी भी अंधभक्त की तरह समर्थन कर रहे है उनको अपनी आंखे खुली रखने की जरुरत है , क्योकि केजरीवाल के एक ताजा बयान के मुताबिक सारे मीडिया वाले मोदी से मिले हुए है और अगर वो सत्ता में आते है तो सबसे पहले मीडिया वालो को जेल में बंद करवाएंगे मगर केजरीवाल बहुत ही जल्द इस बयान स
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