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हवाएं सब बताती हैं।

रचना
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मेरे बारें में जो कोई तेरी अल्फाज आती है,
हवाएं पास आ करके हवाएं सब बताती हैं।
महकता शाम है मेरा, चहकती सुबह आती हैं,
हवाएं पास आ करके हवाएं सब बताती हैं।
चुनावी साजिशें आयीं, चुनावी रंजिशें निकलीं
चुनावी दौर में मुझको , हवाएं सब बताती हैं।
नहीं उड़ता बिखरता हूं , नहीं मैं टूटता जुड़कर ,
तेरा यूँ तोड़ना जुड़ना , हवाएं सब बताती हैं।
शहर में आज फैला है सियासी दौर लोगो का,
सियासत की रियासत हैं ,हवाएं सब बताती हैं।
कोई कहता फिजा मेरी कोई कहता हवा मेरी ,
ये इसका है न उसका है, हवाएं सब बताती हैं।
सियासत की बिमारी देख रोता आज है ‘एहसास ‘
नहीं इसकी दवाई है, हवाएं सब बताती हैं।
– अजय एहसास

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