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क्या कहानी हो गई

रचना
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प्रेम की बातें अचानक बेइमानी हो गई
आजकल तो प्रेम करना जान जानी हो गई।
ना करूं स्पर्श उनका ना लगाएं अब गले
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
देखकर मुझको वो खुद मेरी दिवानी हो गई
लत मोहब्बत की लगी और वो रुहानी हो गई।
अब वो कहती एक मीटर का रखो तुम फासला
मास्क सेनेटाइजर की अब वो ध्यानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
उंगली में उंगली फंसाना परेशानी हो गई
दूर अपने से किया तो खुद हैरानी हो गई।
प्रेम में चुम्बन न लेना भूल जाओ अब उसे
जान भी ले जायेगी गर सावधानी खो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
गर्म थी पर ठंडी देखो चाय छानी हो गई
हाथ को छूने गले मिलने से हानी हो गई।
या मेरे मौला ये कैसा दौर है बतला मुझे
दूर से ही देख आंखें पानी पानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
कभी पत्थर कभी वाइरस का आफत आसमानी हो गई
देख ले कैसी किसानों की किसानी हो गई।
ना दिखे ना बोले कुछ पर काम अपना कर रहा
ख़बरें तो अब बस कोरोना की ज़ुबानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
अपने घर में कैद हैं ज्यो काला पानी हो गई
घर तो अब ना घर लगे कि चूहेदानी हो गई।
हक़ का पैसा भी न देते काम ज्यादा लेते थे
सोचता हूं आज कैसे दुनिया दानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
धन धरा रह जायेगा गर मेहरबानी हो गई
गर कोरोना की तेरे घर निगहबानी हो गई।
सोचता मैं अमर लेकिन देख मैं भी मर रहा
अहंकारी सी मेरी बातें तूफानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
करते करते काम कुछ हमसे शैतानी हो गई
बख्श दे मेरे खुदा जो भी नादानी हो गई।
शान्ति दे समृद्धि दे कोरोना को अब खत्म कर
हो गया “एहसास” क्यो ये परेशानी हो गई।।
पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।।
नोट : यह लेखक के निजी ​विचार हैं, इसके लिए स्वयं उत्तरदायी हैं।

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