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क्या यही है देशभक्ति?

modern social problems
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आज टेलीविजन के कई सीरियल देशभक्ति के सीरियलों से ओत प्रोत हैं लेकिन क्या वो वाकई में देश भक्त थे या सत्ता के लोभी
जानकारी के लिए मैं इतिहास के कुछ तथ्य प्रस्तुत कर रहा हूँ….
सर्वप्रथम दौलत खान लोधी के बुलावे पर बाबर जो एक मुगल था उसने हिन्दुस्तान पर चढाई कर दी और लोधी वंश का पतन सन 1526 पानीपत की लडाई में कर दिया था
क्योंकि उस वक़्त इब्राहीम लोदी एक प्रभावी एवं महत्वाकांक्षी शासक था, और उसने राणा सांगा के राज्य क्षेत्रों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया
तो राणा सांगा ने बाबर को पुनः आमंत्रित किया उनकी और से युद्ध करने के लिए, परन्तु यहाँ के राजाओं के विलासी प्रवृत्ति और फूट का फायदा उठा कर बाबर ने दिल्ली पर कब्ज़ा कर सत्ता हथियाने का निर्णय लिया.
उसकी इस नीति से क्षुब्ध होकर राणा सांगा ने बाबर से युद्ध करने का फैसला किया.
अब यदि बाबर चुपचाप युद्ध करके चला गया होता तो शायद इतिहास राणा सांगा को कभी याद न रखता, खैर जो भी हो पिता के कर्मों की सज़ा बच्चो को ही मिलती है इसलिए राणा सांगा के पोते अर्थात राणा प्रताप को जंगलों में भटकना पड़ा था.
इसी प्रकार से अंग्रेजों के शासनकाल में
पेशवा, सिंधिया को जब तक अंग्रेज पेंशन दे रह थे तब तक सब कुछ ठीक था जैसे ही पेंशन बंद हुयी देशभक्ति शुरू.
इसी प्रकार झांसी की रानी भी अंग्रेजों से अपना राज्य ब्रिटिश सरकार को नहीं देना चाहती थी.
उस वक़्त यदि अंग्रेजों ने झांसी को छोड़ दिया होता तो शायद ही झांसी की रानी कभी अपने महल से बाहर आती.
क्या यही है देशभक्ति?
आपका घर कोई कब्ज़ा कर ले तो आप भी बगावत पर उतर आयेंगे,लेकिन ये तो सिर्फ आपका अपना घर बचाने का प्रयास है देशभक्ति नहीं.
और यदि ये देशभक्ति है तो इलाहाबाद के कचरी गाँव में,या नॉएडा में पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों को भी देशभक्त, शहीद आदि का दर्जा मिलना चाहिए.
आखिर वो भी तो शासन से अपना हक़ मांग रहे हैं,उसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं ,और गोलियां भी खा रहे हैं.
इतिहास साक्षी है की हमारे देश के राजा कितने विलासी थे जिसकी वजह से उनक वंश का विनाश होता चला गया
कुल मिलाकर सिर्फ यही कहा जा सकता है कि भगत सिंह,सुखदेव,बिस्मिल, आज़ाद आदि जैसे लोग जिनका उद्देश्य सुर्फ़ भारत को आज़ाद करवाना था वही सच्चे देशभक्त थे.
क्योंकि उन्होंने न तो कोई सत्ता मांगी न ही कोई कीमत
बल्कि देश के लिए उन्होंने अपनी जान देने से भी पीछे नहीं रहे.
जबकि गांधी परिवार, सिंधिया आदि तो आज भी अपनी देशभक्ति का वास्ता देते हुए राजनीति में सक्रिय हैं…..
जय हिंद

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