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कहा जाता है की इतिहास खुद को दोहराता है
आज हमारी सरकार मुस्लिम आरक्षण का सहारा अपना वोट बैंक बढाने के लिए ले रही है लेकिन हो सकता है कल यह उसी के गले की फांस बन जाए.
गौरतलब है की राणा सांगा ने बाबर को इब्राहीम लोदी से लड़ने के लिए बुलाया था पर लालच और यहाँ के राजाओं का नाकारापन भांप कर उसने यहाँ की सत्ता हथिया कर राज करने लगा था .
और इनकी बर्बरता से बचने के लिए से कई भारतीय हिन्दू राजाओं को अपनी बहन बेटियों को मुगलों के हाथ में देना पडा था.
आज सरकार एक बार फिर वोट के लिए उन्हें आरक्षण का प्रलोभन दे रही है.
कही फिर से इतिहास खुद को दोहराने वाला तो नहीं …………………
और हमें यह कत्तई नहीं भूलना चाहिए की 1947 में पाकिस्तान के लोगों ने क्या किया था.
रही बात आरक्षण की तो मुस्लिम आरक्षण देने से पहले सरकार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया से मुस्लिम आरक्षण ख़त्म करना चाहिए.
क्योंकि धर्म के आधार पर आरक्षण तो सम्विधान द्वारा निषिद्ध है.
तो फिर मुस्लिम आरक्षण क्यों ?
अगर मुस्लिम आरक्षण दिया गया तो ये लोग और जम के आबादी बढ़ाएंगे और फिर अपने आरक्षण का कोटा बढाने की मांग करेंगे
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