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अभी कुछ दिनों पहले किसान रेल पटरिओं पर अपनी फसल के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. काफी दिनों तक प्रदर्शन करने के बाद भी जब कोई असर नही पड़ा तो उन्होंने रेल पटरिओं से हटकर सांसदों और विधायकों को घेरने का फैसला किया था. आने वाली मुसीबत का अंदाज़ा लगते ही बादल सरकार ने पवित्र गुरु ग्रन्थ साहब के पन्नों को जलाने की खबर फैला दी और उनका नाम बताने वालों पर इनाम घोषित कर दिया.
क्योंकि मुद्दा धर्म का था तो सारे किसान अपने धान के लिए किये जा रहे आंदोलन को छोड़कर धार्मिक प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए दौड़ पड़े.
ऐसे में अगर बेमौसम बरसात हो जाती है तो किसानो की साड़ी फसल बर्बाद हो सकती है.
बेचारे गरीब किसानों को कौन समझाए की उनका कितना बड़ा नुक्सान हो सकता है,
और विश्व का कोई भी धर्म, कर्म को छोड़कर धर्म के पीछे भागने की शिक्षा नही देता.
धन्य है बादल सरकार और उसकी धार्मिक सियासत
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