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आजकल पुलिस द्वारा मुंह ढँक कर गाडी चलाने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है लेकिन कई लड़कियां अपने चेहरे को ढक कर गाडी चलाती हैं. उन पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया जाता?
क्या नियम उन पर लागू नहीं होता या पुलिस को उस दिन का इंतज़ार है जब कोई महिला मुंह ढक कर किसी कोर्ट या रेलवे स्टेशन पर कोई बड़ा धमाका करे.
गौरतलब है की फ्रांस ने बुर्के को प्रतिबंधित कर दिया है, एक मुस्लिम देश होने के बावजूद तुर्की में भी बुर्का प्रतिबंधित है.
तो यहाँ क्यों नहीं?
कब जागेगा प्रशासन ?
जब महिला आरक्षण दिया ही जा रहा है तो नियम भी सब पर समान रूप से ही लागू किया जाना चाहिए.
अभी कुछ दिन पहिले मैं स्टेशन पर रिजर्वेशन के लिए खड़ा था.वहां एक लाइन महिलाओं,वरिष्ठ नागरिक तथा विकलांगो के लिए थी तो एक लड़की आई तो वहां खड़े बूढ़े लोगो को डांटते हुए कहती है हटिये हटिये ये औरतों की लाइन है.
अब मैं ये भी बता दूं की वो बूढ़े लोग उस लड़की के दादा जी की उम्र के रहे होंगे . तो क्या वो दो मिनट रुक नहीं सकती थी, वैसे भी वो लाइन तो महिलाओं,वरिष्ठ नागरिक तथा विकलांगो के लिए भी थी .
क्या उसे ये नहीं दिखा था?
खैर एक बात तो मैंने देखी है की जहां महिला आरक्षण लागू होता है वहां ये किसी बुजुर्ग को भी हटाने से परहेज नहीं करतीं जैसे पश्चिम बंगाल और दिल्ली में.
और जहाँ इनको आरक्षण नहीं मिला है वहां ये सहानुभूति लेने का पूरा प्रयास करती हैं.कभी महिला होने का वास्ता देकर तो कभी छोटे छोटे बच्चो का वास्ता देकर.
खैर जो भी हो मैं मानता हूँ की जो भी नियम बनें वो सब पर सामान रूप से लागू हों.
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