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दोगलापन या राजनैतिक कला!

अड़ो,लड़ो,बढ़ो....
अड़ो,लड़ो,बढ़ो....
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मोदी को यूं ही फेंकू नही कहा जा रहा है, एक क्षण पहले विदेशी अतिथियों के सामने प्रधानमंत्री की खिल्ली उडाने के बाद अगले ही पल देहाती औरत की 
बात पर रोष प्रकट करने का नाटक उनके ओछेपन की ही प्रकट करता है. 
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगायी गयी फटकार की बात तो करते हैं लेकिन 
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगायी गयी खुद को लगायी गयी खटकार को छुपा 
लेते हैं।
अपराधियों को बचाने के लिए लाये गए अध्यादेश के विरुद्ध तो बोल देना का अवसर सुषमा जी ने दे दिया लेकिन अपने विधानसभा मे बैठाये गए विट्ठल रड़िया ,बुखारिया जैसे कई अपराधियों की बात नहीं करते हैं ।

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