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मोदी जी इतने झल्लाए हुए क्यों हैं?

अड़ो,लड़ो,बढ़ो....
अड़ो,लड़ो,बढ़ो....
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ज्यादा झल्लाहट का नतीजा ऐसा ही होता है.

उन्होंने ने खुले आम बोल दिया की जिसने दिल्ली की जनता का एक साल बर्बाद किया है उसे सजा दे दो. दिल्ली की जनता जानती है कि सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी बीजेपी ने दिल्ली की जनता की जिम्मेदारी नहीं ली. आम आदमी पार्टी ने ४९ दिन जिम्मेदारी उठाई और काम करने का अच्छा उदहारण प्रस्तुत किया.अरविन्द के त्याग पत्र देने के बाद कांग्रेस ने चार महीने तो भाजपा ने केंद्र में सत्ता पाने के बाद आठ महीने तक का समय बर्बाद किया. तो क्या मोदी जी ने दिल्ली की जनता को कांग्रेस के साथ बीजेपी को भी दण्डित करने का अनुरोध कर दिया ! अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी या भारतीय राजनीती में ईमानदारी का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत कर दिया!

यही नहीं, रामलीला मैदान में हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री ने ऐसे मूर्खतापूर्ण राय दे डाली जिसे सुन कर उनके कुछ समर्थकों के भी सर शर्म से झुक गए. किसी नेता को सुना है आपने कि वो शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से चलने वालों को जंगल में जा कर नक्सली बनने की राय दे? सुना है ? सुना है आपने कभी? ये कोई ऐसा वैसा नेता नहीं वरन विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री हैं.
आज से पहले नक्सलवादियों,अलगाववादियों, आतंकवादियों व चंबल के डकैतों को देश की मुख्यधारा में आकर अपनी मांग रखने की राय दी जाती रही है और ये …..? धरना देना, अहिंसक रूप से आंदोलन करना इतना बुरा हो गया ? इसी से देश आज़ाद हुआ हैं. देश की जनता अपनी बात कैसे कहे? जब ये लोग धरना दे रहे थे, आंदोलन कर रहे थे ,ऐसा आनदोलन जिसमे कभी किसी बस की शीसे नहीं टूटे, कभी कोई गाड़ी नहीं जलाई गई , तब इन नेताओं ने कहा की क़ानून सड़क पर नहीं बनते, चुनाव लड़ो और जो चाहते हो वो कानून बनाओ. आज जब ये चुनाव लड़ रहे हैं तो कहने लगे की जंगल जाओ, नक्सली बन जाओ.
अभी तो गरीबो , भूमिहीनों ने हथियार उठाये हैं प्रधानमन्त्री जी ,जिनसे आप नहीं निपट पा रहे हैं, जिस दिन इन यारों ने आप की ये राय मान ली तो आप के रामजादे या हरामजादे शहरों में भी चैन की सांस ले पाएंगे?

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