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चुनाव बाद भी प्रचार अनवरत जारी है। ताबड़ तोड़ विदेशी दौरे। मान न मान मै तेरा मेहमान। कुछ नहीं तो मुफ्त का चंदन घिस या नेग लेले लेकिन टाइम पास होना चाहिए। लगातार जश्न का माहौल बना रहे।देश की जनता की आँख में चकाचौंध की कमी ना होने पाए नहीं तो………
वो देख लेगी कि मजदूरों के कानून में उनके हित की कटौती कितनी हों गयी। वो गिनने लगेगी की कितने दिन हो गए काला धन नहीं आया। वो पूछने लगेगी कि मध्यप्रदेश में हुए घोटाले में बीजेपी आरएसएस वालों को कोई तमगा दिया गया कि नहीं। जब जनता की आँखे सामन्य हों जायेंगी तो उसे अँधेरे में भी दिखाई देने लगेगा । वो देख लेगी कि कैसे aiims में संजीव चतुर्वेदी को ईमानदारी की सजा दी गई। ढोल बजते रहने चाहिए, आर्केस्ट्रा की आवाज कम नहीं होनी चाहिए नहीं तो माँ गंगा की सिसकियाँ जनता सुनने लगेगी कि कैसे उसके गोद में जबरन घुसे पुत्र अब 18 साल का समय मांग रहे हैं। झुन झुना बजता रहना चाहिए नहीं तो बच्चे लोग अपनी भाषा के लिए रोने लगेंगे।FDI का नया मतलब समझाओ नहीं तो कोई पूछ बैठेगा की ऑटोमेटिक प्लांट लगा कर हमारे 25₹ के आलू से चिप्स बना कर 300₹ भाव से बेचने वाली मम्मी पापा अंकल चिप्स से कितने रोजगार मिलेंगे। तो क्या समझे प्यारे…. म्यूजिक बंद ना होने पाए और हाँ लाइट भी झकास रहे……
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