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मौत से मुकाबला4: अब खुशनुमा सुबह नहीं होगी

AjayShrivastava's blogs
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सुबह कितनी ही उजली हो, रात के अंधकार से कम ही होती है और अगर वो रात कभी न खत्म होने वाली हो तो?एक बार तीन दोस्त एक बहुत ही छोटे जहाज में समुद्र में मछली पकडऩे को निकले। वो बहुत दूर आ गए एकाएक उनके जाल में एक तेज हलचल हुई। उन्होंने जाल खींचा तो हैरान रह गए जाल में एक जलपरी थी। बेहद खूबसूरत और कमनीय। तीनों ने उसे जहाज पर खींच लिया। उसका भोग करने के लिए तीनों में झगड़ा होने लगा। ये देखकर वो जलपरी मुस्काई और बोली- तुम तीनों आपस में लड़ लो जो जीतेगा उसे मैं खुद ही अपना सबकुछ दे दूंगी। सबकुछ। तीनों कामांध हो गए। पहले दो आपस में लडऩे लगे। तीसरा और वो जलपरी उनकी लड़ाई देखने लगे। पहले ने दूसरे को इतनी बुरी तरह मारा कि वो बेहोश होकर गिर गया। विजेता की पीठ तीसरे के मुंह की ओर थी और मुंह जलपरी की ओर जलपरी ने उत्साह के साथ हाथ ऊपर किए। तभी तीसरे ने उठकर नुकीला लंगर दूसरे की पीठ में घुसा दिया। वो वहीं ढेर हो गया। अब जलपरी तीसरे की थी। जलपरी रहस्यमय ढंग से मुस्कायी न जाने क्यों? इसके बाद वो जलपरी की ओर बढ़ा और उसकी समुद्र की आंखों में डूब गया। उसके सुर्ख होंठ। अचानक उसके खून से लाल हो गए। जलपरी ने उस आदमी के गले में अपने तीखे दांत गड़ा दिए। वो दूसरी तरफ पलट गया। धोखा क्यों किया? उसकी नजर धुंधली पडऩे लगी। तुम्हे मेरे जिस्म की भूख है और मुझे तुम्हारे मांस की। तुमने मुझे पकड़ा तो मैं खाने की तलाश में थी। यहां आकर मैं घबरागई पर तुम लोगों की हवस ने मुझे यह युक्ति दी। वो आदमी नीम बेहोशी में चला गया। ये आदमी मर गया है इस का मांस जल्दी सड़ जाएगा। ये कहते हुए जलपरी उस पर टूट पड़ी और उसे खा गई। इतने में दूसरा घायल कर्राया। जलपरी ने उसे देखा और उसके पास चली गई। वहां उसने उसके साथ सहवास सा कुछ किया। फिर उसके शरीर पर घाव बनाकर उसका रक्त चाटती रही। तीसरे के हाथ एक धातु का टुकड़ा लग गया उसने ये कहानी खोद-खोदकर लिखी और दूसरे दिन वो मर गया। मरने से पहले उसने उस जलपरी का भयाानक मुख देखाा जो अब उसे खाने वाला था।मौत की गहराईयों में भी उसे जलपरी के दांतों से काटे जाने का अहसास होता रहा। करीब 15 दिन बाद उस जहाज पर दूसरे जहाज के लोग पहुंचे और ये कहानी पता चली। जहाज से हड्डियां और एक मछली का विंग मिला।मालखाने के अंधेरे में एडम ने इस कहानी को जैसे ही सुनाया मेरे रौंगटे खड़े हो गए। तभी एक धक्का लगा। मैं चौंका। हे….अब हम गहरे समुद्र में जा रहे हैं। मैं और वो काम खत्म करके ऊपर आए। सूची को नेवल की टेबल पर रखकर हम डेक पर आए। शाम गहरा रही थी। लहरो का शोर था। तभी वहां जोनाथन और एडम आए। क्या हो रहा है? एडम का सवाल था। बस यही लहरें और यही समुद्र, नोबल का जवाब था। ये अब तकदीर है, जोनाथन उदास हो गया। माल खाने में जो जमा है वो तो सिर्फ थोड़ा सा खाने का सामान है जो मुश्किल से पांच दिन तक चलेगा, हम तो लंबी ट्रिप पर हैं, मैंने पूछा। अरे वो खाना मुसीबत के लिए हम जहां से वहीं से फसल काटना है और खाना है, नोबल का जवाब था। मतलब, मैंने पूछ लिया। मछली पकड़ो, खाओ। वैसे मालखाने का माल बेचने के लिए है। हमें जो खाना मिलेगा वो इसके भी पीछे एक निचले गोदाम में बंद है, नोबल ने बताया। मतलब, खाने में क्या मिलेगा? जोनाथन की उत्सुकता जागी। फिलहाल वहां आलू जमा है, आलू उबाले जाएंगे और मसाला डालकर खाने होंगे। हमने सिर पकड़ लिया और नोबल हंसने लगा। कुछ देर बाद अपने आप को जीवित समझकर जब हमें शारीरिक जरूरतों का अहसास हुआ तो हमें प्यास महसूस हुई। हम मालिक स्पार्ट के पास पहुंचे। नोबल ने हमें पहले ही बता दिया था कि समुद्र में पीने का पानी मिलना रेगिस्तान में नखलिस्तान मिलने जैसा है। हमें एक बोतल मिलेगी जिसमें पीने का पानी होगा उसे एक बार में पी जाओ या दिन भर बारी-बारी पियो तुम्हारी मर्जी। पानी दो बार ही मिलेगा- सुबह और शाम जिसे दिन और पूरी रात चलाना होगा। नेवल ने ऐसा ही किया। एक कपड़े की बोतल मिली जिसमें पानी था। हमारे पास पानी का पर्याप्त भंडार था पर उसे सम्हलकर चलाना था। रात में हम नीचे जमा हो गए। एक छोटे किचन में हमें उबले आलू मिले जो हम निगल गए। यहां एक छोटा और गंदा वॉशरूम था जिसे सभी को इस्तेमाल करना था। सभी को हिदायत थी- गंदगी न करें। आपस में कम और मधुर व्यवहार करें। समुद्र में तनाव जल्दी होता है उससे सावधान रहें और आक्रमक न हों। हम रात को एक पर एक लगे बिस्तरों पर सो गए। नई हादसों से भरी सुबह के इंतजार में पर न जाने क्यों हमें डर था कि अब खुशनुमा सुबह नहीं होगी।

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