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रोमांस: अनदेखा सा महत्व

AjayShrivastava's blogs
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रोमांस: अनदेखा सा महत्व
एक बार मैंने अपने मित्र से एक सवाल पूछा- तुम्हें नहीं लगता कि हमारे सिनेमा में जैसे नायक-नायिका का रोमांस दिखाया जाता है। वस्तुत: आम आदमी की जिंदगी में इतना रोमांस होता ही नहीं है या कहें रोमांस होता ही नहीं है। जवानी उत्साह के साथ उठती है, शादी होती है, कुछ दिन तक  प्रेम के प्रसंग होते है उसके बाद बच्चे होते हैं,  परिवार बन जाता है और विवाह के चार-पांच साल बाद रोमांस सामान्य हो जाता है। वो आकर्षण नहीं होता, वैसी उत्तेजना नहीं रह जाती। तनाव और जिंदगी की भागदौड़ में सबकुछ खो जाता है। मित्र के विचार कुछ खास नहीं थे।
जिंदगी में प्रेम या रोमांस का अनदेखा सा महत्व जरूर है। लोगों ने इसे महत्व नहीं दिया क्योंकि उनका मन कई कारणों को  लेकर रोमांस के प्रति ठंडी प्रतिक्रिया में बदल जाता था। उन्हें ऐसा करने में शर्मिंदगी का अहसास भी होता था। उम्र भी बाधा हो जाती थी।
अब आपको यह बात बताना जरूरी है कि रोमांस आपकी जिंदगी में तनाव को दूर करता है। कितनी बार होता है कि  जिंदगी से कुछ पल चुराकर पत्नी अपने पति के लिए उसकी पसंद की चीज लाए उसे पसंद की  कोई चीज खिलाए, अगर वो उसे खुद आपने हाथों से बनाए तो बात ही क्या है? कितनी बार पति या पत्नी अपने व्यस्त जिंदगी से कुछ पल निकालकर  कुछ सरप्राइज दें  अपने साथी को?
आपको बता दें कि हमारे शरीर में हार्मोंस का स्राव लगातार होता रहता है। भावनाओं को नियंत्रित करने में और शरीर और मानसिक दशा को पूर्णत: नियंत्रित करने में इनका बहुत योगदान होता है। ये आकर्षण को पैदा करते हैं और प्यार करने की और पाने की इच्छा को तेज करते हैं या  रोकते हैं।
रोमांस को बहुधा कामुक शारीरिक क्रियाओं से जोड़कर देखा जाता है। इसका परिणाम सिर्फ  और सिर्फ बिस्तर तक सीमित रह जाता है।  रोमांस भावनात्मक ज्यादा होता है। यहां तो चुम्बन में भी भावनाएं होती  है। बातचीत होती है।
एक परेशानी और भी है  जो घातक है- ये परेशानी है साथी की ठंडी प्रतिक्रिया। ये प्रतिक्रिया बहुधा अनैतिक संबंधों को जन्म देती है। तेज हार्मोंस भावनाओं को निकलने के लिए इतना उत्तेजित कर देते हैं कि  इंसान गलत रास्ते पर भी चलने को तैयार हो जाता है।
रोमांस रोज नहीं तो कम से कम सप्ताह में एक बार तो  होना ही चाहिए इसके लिए आपको समय निकालना होगा। इससे रिश्तों में नई ताजगी तो आती ही है साथ ही तनाव दूर होता है। प्रेम चरम पर पहुंचने पर दिल की धड़कने और सांसे तेज हो जाती है, जिससे रक्त का संचार बेहतर होता है। दिल की बीमारियों से कुछ हद तक बचा भी जा सकता है। एक रिसर्च के अनुसार प्रेम युक्त शारीरिक क्रियाओं को सप्ताह में एक बार  करने से दिल की बीमारियों से बचने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़  जाती है। तनाव बाहर आ जाता है। बाकी सब आप स्वयं के अनुभव से समझ सकते हैं।
रोमांस की भावनाओं के कई रंग होते हैं। पति अपने पत्नी को सायकल या गाड़ी पर पीछे बिठाकर यहां-वहां घुमाता है। उसे कुछ ऐसी यादगार देता है जो उसे उसकी याद दिलवाती रहती है। ऐसी कोई रोमांटिक एक्टिविटी हो या हो सबसे पहला किस। रोमांस  उत्तेजक भी हा ेसकता है भावनात्मक भी। ये एक खास पहलू है  जीवन का  जिसे अनदेखा किया जाता है कभी जानकर कभी अनजाने में।

एक बार मैंने अपने मित्र से एक सवाल पूछा- तुम्हें नहीं लगता कि हमारे सिनेमा में जैसे नायक-नायिका का रोमांस दिखाया जाता है। वस्तुत: आम आदमी की जिंदगी में इतना रोमांस होता ही नहीं है या कहें रोमांस होता ही नहीं है। जवानी उत्साह के साथ उठती है, शादी होती है, कुछ दिन तक  प्रेम के प्रसंग होते है उसके बाद बच्चे होते हैं,  परिवार बन जाता है और विवाह के चार-पांच साल बाद रोमांस सामान्य हो जाता है। वो आकर्षण नहीं होता, वैसी उत्तेजना नहीं रह जाती। तनाव और जिंदगी की भागदौड़ में सबकुछ खो जाता है। मित्र के विचार कुछ खास नहीं थे।

जिंदगी में प्रेम या रोमांस का अनदेखा सा महत्व जरूर है। लोगों ने इसे महत्व नहीं दिया क्योंकि उनका मन कई कारणों को  लेकर रोमांस के प्रति ठंडी प्रतिक्रिया में बदल जाता था। उन्हें ऐसा करने में शर्मिंदगी का अहसास भी होता था। उम्र भी बाधा हो जाती थी।

अब आपको यह बात बताना जरूरी है कि रोमांस आपकी जिंदगी में तनाव को दूर करता है। कितनी बार होता है कि  जिंदगी से कुछ पल चुराकर पत्नी अपने पति के लिए उसकी पसंद की चीज लाए उसे पसंद की  कोई चीज खिलाए, अगर वो उसे खुद आपने हाथों से बनाए तो बात ही क्या है? कितनी बार पति या पत्नी अपने व्यस्त जिंदगी से कुछ पल निकालकर  कुछ सरप्राइज दें  अपने साथी को?

आपको बता दें कि हमारे शरीर में हार्मोंस का स्राव लगातार होता रहता है। भावनाओं को नियंत्रित करने में और शरीर और मानसिक दशा को पूर्णत: नियंत्रित करने में इनका बहुत योगदान होता है। ये आकर्षण को पैदा करते हैं और प्यार करने की और पाने की इच्छा को तेज करते हैं या  रोकते हैं।

रोमांस को बहुधा कामुक शारीरिक क्रियाओं से जोड़कर देखा जाता है। इसका परिणाम सिर्फ  और सिर्फ बिस्तर तक सीमित रह जाता है।  रोमांस भावनात्मक ज्यादा होता है। यहां तो चुम्बन में भी भावनाएं होती  है। बातचीत होती है।

एक परेशानी और भी है  जो घातक है- ये परेशानी है साथी की ठंडी प्रतिक्रिया। ये प्रतिक्रिया बहुधा अनैतिक संबंधों को जन्म देती है। तेज हार्मोंस भावनाओं को निकलने के लिए इतना उत्तेजित कर देते हैं कि  इंसान गलत रास्ते पर भी चलने को तैयार हो जाता है।

रोमांस रोज नहीं तो कम से कम सप्ताह में एक बार तो  होना ही चाहिए इसके लिए आपको समय निकालना होगा। इससे रिश्तों में नई ताजगी तो आती ही है साथ ही तनाव दूर होता है। प्रेम चरम पर पहुंचने पर दिल की धड़कने और सांसे तेज हो जाती है, जिससे रक्त का संचार बेहतर होता है। दिल की बीमारियों से कुछ हद तक बचा भी जा सकता है। एक रिसर्च के अनुसार प्रेम युक्त शारीरिक क्रियाओं को सप्ताह में एक बार  करने से दिल की बीमारियों से बचने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़  जाती है। तनाव बाहर आ जाता है। बाकी सब आप स्वयं के अनुभव से समझ सकते हैं।

रोमांस की भावनाओं के कई रंग होते हैं। पति अपने पत्नी को सायकल या गाड़ी पर पीछे बिठाकर यहां-वहां घुमाता है। उसे कुछ ऐसी यादगार देता है जो उसे उसकी याद दिलवाती रहती है। ऐसी कोई रोमांटिक एक्टिविटी हो या हो सबसे पहला किस। रोमांस  उत्तेजक भी हा ेसकता है भावनात्मक भी। ये एक खास पहलू है  जीवन का  जिसे अनदेखा किया जाता है कभी जानकर कभी अनजाने में।

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