AjayShrivastava's blogs
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कोई अचरज न करे निरीक्षण है औचक।कमरे खाली देख के साहब हैं भौचक।।कुछ वसूली पर हैं गए, कुछ करते आराम। आकर दरस दे जाते हैं आरक्षक सुबहोशाम।।लॉकअप में जंग लगे ताले देखे। कुछ जम्भाई लेते मुखवाले देखे।।
क्या रिपोर्ट है, सनद होती देखकर तुम्हारे मुंडे। लोग यूं ही डर जाते हैं यहां देखकर वर्दी वाले गुंडे।।कार्रवाई नहीं और वसूली, खुले घूमते पट्टे। यहां-वहां पर चल जाते हैं देसी-स्वदेसी कट्टे।।कोई आसर न देखकर बोले जनाबे आली। कमाई सदा ईमान की नहीं कभी हो काली।।ये जानो न कभी हों अपनी पहचान के चार दिव्य आधार। तोंद, खाकी कपड़े, मूंछे और डंडे की मार।।
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