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दिल्ली के रोहिणी में छात्रों और पेशेवरों के द्वारा शुरू की गई “वृक्षित फाउंडेशन” आज भारत के 15 राज्यों के सैकड़ों शहरों में अपने वॉलंटियर्स के दम पर बदलाव ला रही है ….. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में इस संस्था ने दिन – रात मेहनत कर 1300 से ज्यादा लोगों के घरों तक राशन पहुंचाया है और कोरोना वायरस से बचाव हेतु जागरूकता अभियान भी चला रही है।
“कोई भी भूखा ना सोए” के सोच के साथ काम कर रही इस संस्था ने पाया कि इस मुश्किल के घड़ी में बेजुबानों को भी मदद की जरूरत है। सड़कों पर भूख से बेहाल जानवरों की मदद के लिए “वृक्षित फाउंडेशन” ने बीते 28 जुन को “फीड एनिमल्स ऑन स्ट्रीट” के नाम से एक अभियान की शुरूआत की, जिसमें इन लोगो ने सड़क पर रहने वाले 10 लाख जानवरों को खाना खिलाने का लक्ष्य रखा है। अब तक अलग – अलग शहरों में काम कर रही इनकी टीम ने 75 हजार से ज्यादा जानवरों को सुबह – शाम खाना खिलाया है। एनिमल पियर्स, डॉग वॉकीज और स्ट्रीट डॉग ऑफ रांची जैसी संस्था भी इस अभियान में इनके साथ काम कर रही है।
भूखों और बेजुबानों की मदद करने के साथ ही यह संस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत “स्वच्छ एवं हरित भारत” के सपने के साथ काम कर रही है। संस्था के लोगों ने अबतक देश के 15 राज्यों के 140 से ज्यादा जगहों जैसे डंपिंग ग्राउंड, कम्युनिटी पार्क, गलियों, सड़कों, बस्तियों आदि को चिन्हित कर वहां साफ – सफाई अभियान चलाया और टनों कूड़े को रिसाइकिल किया है। साथ ही साथ यह संस्था दिल्ली के अलग – अलग क्षेत्रों में “स्वच्छ यमुना, स्वच्छ दिल्ली” के लक्ष्य के साथ काम कर रही है।
“वृक्षित फाउंडेशन” के फाउंडर “शंकर सिंह” जो की पेशे से एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं बताते हैं कि “हमने कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स, सॉफ्टवेयर इंजिनियर और प्रोफेसरों के एक छोटे से समूह के साथ मिलकर “स्वच्छ एवं हरित भारत” के सपने के साथ इस संस्था की शुरुआत की। धीरे – धीरे कारवां बनता गया और आज हम देश के 15 राज्यों के सैकड़ों शहरों में काम कर रहे है। हम साफ सफाई, जन – जागरण, महिला सशक्तिकरण, वृक्षारोपण, बच्चों की खुशी और सबको शिक्षा जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। हमारे काम को पहचान भी मिल रही है, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारे कार्यों के लिए हमें “एन्वाइरोकेयर ग्रीन अवॉर्ड 2020” से सम्मानित किया गया है”।
डिस्क्लेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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