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कश्मीर दहक उठा है

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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कश्मीर दहक उठा है ….
पाक के नापाक वारो से!
माँ पूजा की थाली लाओ .,,..
तिलक करो करो विदा !!
हिन्दुस्तान को ललकारा है पाक,
औकात उसकी दिखानी है !
सीने पर किया है प्रहार…
माँ के दूध को ललकारा है!!
भ्राया अस्त्र शस्त्र करो तिलक…
पाक के खून को हिम से बहाना है!
सैनिको के बलिदानो का घाव…
पाक को अब चुकाना है!
बहिना कलाई पर राखी बाँधो…
सम्मान पर किया है प्रहार!
इस बार मुँह तोड़ देना है जवाव…
अब तक हुए है जितने शहीद..
सबको जीत की देनी श्रद्धाजली!
शहीदो के माँ भ्राया ,बच्चो की पुकार..
सबका चुन चुन लेना है हिसाव!
देश की जनता जनार्दन दो होसला…
भरदो होसला करो ऊर्जा का संचार!
सहनशील बन गई है आक्रोश दाह..
पाक के खून से देनी है आहूती!
रोक के सिन्धु जल संचेत कराया…
विश्व से दुतकारा एहसास कराया!
अब नक्से से विल्पुत कराना….
बलूचिस्थान को आज़ाद कराना!
पाक के करके खण्ड खण्ड …
औकात को दिखाना है !
सीमाओ का विस्तार करना…
अब तुझको दिखाना है.!
हम एक एक सौ पर हाभी…
बारूद की अब होगी बोली..!
विश्व के मित्र एक जुटता बडाओ…
पाक को देना है करारा जवाव!
गीदडो ने शेरो को ललकारा हैं..
हम शेरो की दहाड दिखलाना है!
छीन लेगे पाक की छत बत….
दाने दाने को मोहताज कराना है…..

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