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यूपी का दंगल

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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यूपी का दंगल सजने लगा,
दाँव पेच का आकलन होने लगा!!
चौपालो में गरमागरम माहोल बना,
चमचों की जेबे गरम होने लगी!!
चार साल के दबे मुद्दे मुद्दा बना,
अब नासूर बनके पेश करने लगे!!
खा न ले गाड़ी मेरी कोई मलाई,
मलाई पर सब टूटने है लगे!!
दलित अल्पसंख्कि है पैतरा,
पैतरा का दाँव सब लगाने लगे!!
साईकल पर सवार मुलाईम अखलेश,
अपने कुरमा का वल दिखाने निकला!!
मुस्लिम के बने है ये हितेशी,
इफ्तार पार्टी आयोजन होने लगा!!
अब सोंच रहे है क्या मुफ़्त में दे,
मुफ़्त के लोभ में वोटर बिक जाते है!!
सत्ता की रोटी खूब सिक जाती हैं,
मुफ़्त का लोभ घर आ जाता हैं!!
कुरमें को जासूश पर लगा दिया,
बिक जायें वोटर वो तरकीव खोजनी हैं!!
मायावती हाथी पर सवार हो चली,
दलित का हथकड्डा लेगे निकली!!
ब्रहाम्ण ठाकुर को बनाना है विधायक,
जैसे भी हो कैसे भी हो पद मिल जायें!!
चेहरा है मायावती नईया पार हो जायें,
करोङो का खेल हे ये प्यारे,
टिकट सत्ता का रेल है प्यारे!!
डूढ डूढके पैतरे खोजे जा रहे है!!
हम में है दम वाकी पानी है कम,
मायावती का खेल दलित है वार!!
पंजा है काँग्रेस की दशा कहाँ छुपी,
गंठबंधन करते है मुँह की खाते है!!
60साल की सत्ता जनता नकार रही हैं,
ग्रहण लगा है जिनके सितारो पर,
राहुल जीत का चेहरा न बन पा रहे है!!
खेमे की नाराज़गी हार के बाद निकलती हैं,
प्रियंका को आगे लाओ चेहरा बनाओ!!
चहरे से कुछ नहीं होगा ग्रहण को हटने दों,
और क्या क्या देखना है धीरज धरों!!
मोदी जी के सैलाव में कमल खिलने निकला,
वाराणशी की बदली काया जग को दिखाया!!
राम नाम का चौला रंगने है निकला,
राम का मंदिर अहम शस्त्र जग बताया!!
कोई भी अस्त्र छुपा रह न जायें !!
दलित हो या हिन्दू पलायन मुद्दा,
साहा के नेत्रतृत्व में जीतने निकला!!
यूपी से मिला केन्द्र मे शासन,
अब यूपी में खिलाना है कमल!!
कोने कोने मे दमदार है सेवक,
अंदर ही मुखिया बनने की होङ बची है !!
यूपी का दंगल सजने लगा,
दाँव पेच का आकलन होने लगा!!

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