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विश्वास का हुआ कत्ल,
ज़िंदगी अपनो से दूर हुई!!
विश्वास इतियास में दफन,
आगे से नहीं पीछे से शूल हुई!!
वेटा विश्वास को तार तार करता,
वाप की पगङी सरेआम उछालता!!
जायदाद की चाह क्या क्या करता,
कभी खुद तो कभी पैसो से नाश करता!!
नेत्रो में वेटी ने ज़ख़्म के आँसू दिये,
जिंदालाश के ऊपर अपना घर बसाया!!
राह में बाँधा बनकर माँ है खङी,
किया सीने पर घोप के खंजर वार!!
भाई भाई का दुश्मन की खरी मिसाल,
खून खून का चरम तक है प्यासा!!
खेत खलियान लें बिछी है लाशे,
भाई के भस्म के ऊपर महल बनाया!!
रिश्ते नातेदारों को विश्वास से घात,
सब भूले बनके व्यापारी खूब ठगा!!
लेन देन की हुई है कच्ची डोर,
सूरत देखना भी नहीं है गवारा!!
शिष्य ने गुरु को किया बेखौफ कत्ल,
जिन्दा ही सङक पर चिता बनाया !!
दिया जिसने प्रकाश उसपर फैका तेजाव,
दिया गुरु दक्षिणा में निदन्नीय घात!!
मित् का चौला पहन बनाया है शमशान,
दोखा का ऐसा क्या अभिनय प्रस्तुति!!
नारी धन अहम शोहरत बने वजय,
साथ कारोवर कर क्या नासूर जख्म!!
विश्वास का हुआ है कत्ल,
ज़िंदगी अपनो से दूर हुई!!
आकाँक्षा जादौन
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