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शर्तो पर जीना छोङ दो

साहित्य दर्पण
साहित्य दर्पण
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सह सकते है अनगिनत जख्म,
तो शर्तो में जीना छोड़ दो!
पी सकते है अश्को का सैवाल,
तो शर्तो में जीना छोङ दो!
सरकार को कायर की संज्ञा देते,
शहीद के शहादत का हिसाब लेते!
कूटनीति राजनीति बेजोड जबङा,
पाक को चारो खोने चित है करना!!
युद्ध हर समस्या का समाधान नही,
घर घर से शहीदो की उठेकी अर्थी,
कितनो की उजङेगी माँग का सिन्दूर,
कितनो की गोद होगी यूही सूनी!
सम्पति का कितना होगा विलाप,
पश्चमी से 20पीछे है आज हम,
और 20साल हो जायेगे ऐसे पीछे,
सोचो क्या मिलेगा होकर हमको!
परिमाणु बम्ब हुआ जो विध्वन्स,
देखना है इसका जो प्रतिफल,
जापान में जाकर कर लो साक्षात्कार!
रूस का प्रकोप आज भी झेलती पीणी!!
युद्ध पहला नहीं आखरी है विक्लप,
पाक के कमज़ोर नज्ब ली पकङ,
पाक के अंदर गृहकलह कराना ,
खण्ड खण्ड करके जख्म है देना!
बोखलाहट है पिछडने की उसकी,
देश बन रहे है मित्र हमारे सब,
विकाश के पथ पर कार्यशील ,
बोखलाहट निकलती ओछी हरकत कर!
गेहूँ में कंकड चुन चुन निकाल रहे ,
करता है घुसपैठ मार मार गिरा रहे,
सीजफाईर का बराबर देते है जवाव,
पाक की हर प्रहार का करते प्रतिकार!
युद्ध चाहते है सब जनआधार तो,
मैसेज से खून उवाल लाते हो,
सिर पर बाँधकर निकलो तिरंगा,
सीमाओ पर दिखला दो उवाल!
हर वार सैनिक ही क्यों है शहीद,
तुम भी दिखला दो जौहर का उवाल,
मैसेज पर करते बेधङक प्रतिकार,
आज मांगता है देश तुमसे हिसाव!
सब देखने सहने को हो तैयार,
तो युद्ध हो जाने दो आर या पार,
नौ जवान सजालो देश करे पुकार,
छेङा है युद्ध का ऐसा अलाप!
शहीद का हिसाव हम सब उधार,
दिलेर शहीदो के परिवार को सलाम,
चाहत है यहीं पाक को दिखादे औकात,
अपने देश के घर घर आँसू पी सकते है,
तो शर्तो पर जीना छोङ दो!
शस्कतीकरण हो रहा देश का ऐसा,
मित्रो का मिल रहा है समर्थन अपार,
पाक का नापाक पर्दा दिया उतार,
आंतकवादी देश घोषित करने पर विचार!
सह सकते है अनगिनत ज़ख़्म ,
तो शर्तो पर जीना छोङ दो,
पी सकते है अश्को का सैलाव,
तो शर्तो पर जीना छोङ दो!

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