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चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें,
उन्हें याद कर के फिर से अपनी आँखें नाम कर लें.
हुए थे हमारे देश में भी कुछ ऐसे जांबाज़,
जिन्होंने हमारे लिए अपना न कल देखा न आज.
आओ उन्हें पुनः स्मरण कर लें….
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
कर दिखाया उन्होंने अपने छोटे से जीवन में बड़े-बड़े काम,
और किया उन्होंने अंग्रेजों के नापाक इरादों को नाकाम.
उनकी इस बहादुरी को आओ सलाम कर लें,
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
दूसरों की ख़ुशी के लिए उन्होंने कर दी अपनी खुशियाँ कुर्बान,
देश की आन बान और शान के लिए शौंप दी अपनी जान.
उन्ही भारत माता के वीर सपूतों के बलिदान को आओ नमन कर लें,
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
हाँ आओ करें उन्ही शहीदों को याद,
जिन्हें हमने उनके शहीद होने के बाद.
सिर्फ किताबों और दिवसों में ही किया है याद…
आओ उन्हें किताबों और दिवसों के जंजीरों से आज़ाद कर लें,
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
शहीदों और महापुरुषों को सिर्फ मूर्तियों में कैद न करें,
आओ उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें,
उनके उन आदर्शों को आओ पुनः स्मरण कर लें,
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
आओ उन्ही शहीदों को फिर से करते हैं याद,
और उनके सामने नतमस्तक हो करते हैं ये फ़रियाद,
की हे भारत माँ के वीर सपूतों, पुनः जनम ले कर,
भारत माँ को भ्रष्टाचार, कुशासन, गरीबी और ढोंगियों से करें आज़ाद.
उन्ही सपूतों के समक्ष आओ यह फरियाद कर लें,
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें.
चलो आज फिर से शहीदों को याद कर लें,
उन्हें याद कर के फिर से अपनी आँखें नाम कर लें.
रचयिता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”
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