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क्या कारण है की आज हमारा समाज गर्त में जा रहा है?
क्यूँ आज इंसान खुद अपनी जिंदगी को अन्धकार में ले जा रहा है?
क्यूँ आज हर तरफ छाई है निराशा?
क्या कम हो चुकी है लोगों में जीने की आशा?
क्यूँ आज इस देश का नौजवान बेमौत मर रहा है?
आखिर क्यूँ वो अपनी जिंदगी से यूँ खिलवाड़ कर रहा है?
आखिर कौन फैला रहा है ये नशे का भरम?
क्यूँ हमारे देश के युवा बढ़ा रहे हैं नशे की ओर अपना कदम?
नशे से आज तक किसी का भला नहीं हुआ है.
फिर किस कारण से तुने मदिरा से भरे पैमाने को अपने होठो से छुआ है?
नशे से नहीं होते हैं जिंदगी के दुःख दूर.
बल्कि नशे की वजह से तेरे अपने हो जाते हैं तुझसे दूर.
नशे के कारण ही बिक जाते हैं कितनों के घर-बार,
नशे की वजह से दूर हो जाते हैं तेरे दोस्त, नाते-रिश्तेदार.
नशे में आकर तुने अपनों पर हाथ उठाया,
नशे के कारण ही तू आज सडकों पर आया.
अब सोचो क्या इस नशे से तुमने समाज में पाया मान-सम्मान!!
क्या इस नशे ने कर दिया तुम्हारी हर समस्या का समाधान?
नशे के जाल में फंस कर अपने भविष्य की जड़ों को मत उखाड़ो,
इस भयानक विष से अपने सुन्दर सलोने भविष्य को मत बिगाड़ो.
यह मानुष जीवन बहुत है अनमोल,
इसे शराब के नशे में मत तौल.
उठो जागो मेरे देश के नौजवानों, हो सके तो मेरा बस इतना कहना मानो.
पश्चिम की संस्कृति को छोड़ कर अपनी भारतीय संस्कृति की जड़ों को जानों.
आओ आज मिलकर हम सब यह प्राण करें,
नशे के इस जाल को जड़ से ही ख़तम करें.
आओ एकजुट हो करें यह प्रयास और बनाये एक ऐसा समाज,
जहाँ न हो नशे का और न नशे के कारोबारियों का साम्राज्य.
जय हिंद, जय युवा शक्ति.
रचयिता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”
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