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ऐसा क्या हुआ जो आज धरती मैया रो रही है?
क्यूँ आज सरकार चैन की नींद सो रही है?
क्यूँ आज देश का किसान बेमौत मर रहा है?
आखिर वो अपनी धरती मैया पर इतना जुलम क्यों कर रहा है?
आखिर हमारे कृषक मित्र क्या कर रहे हैं?
क्यूँ वो गुड्वत्ता के बजाय, पैदावार पर ध्यान दे रहे हैं?
आखरी कौन फैला रहा है ये भरम?
क्यूँ हमारे कृषक मित्र उठा रहे हैं, ये विनाशक कदम?
इन्हें तो पता है की धरती उनकी माता है,
फिर क्या कोई पुत्र अपनी माता को रासायनिक विष पिलाता है!!
रासायनिक विष डालकर शायद तेरा पैदावार बढ़ जायेगा,
पर क्या तुने कभी सोचा, की इससे हमारी धरती मैया का हरा-भरा गोद उजड़ जायेगा!!
रासायनिक विष के प्रभाव से तू भी न बच पायेगा,
आखिर तू भी तो इसी रसायन मिश्रित अन्न को खायेगा.
भारत की इस सस्य-श्यामला भूमि को मत उजाडो,
रासायनिक विष से प्रकृति के संतुलन को मत बिगाड़ो.
उठो जागो मेरे देश के किसानो,
हो सके तो मेरा इतना कहना मानो.
खेती में रसायनों के प्रयोग को बंद करो,
प्रकृति के साथ हो रहे इस खिलवाड़ का आज ही अंत करो.
लौट चलो फिर से पुरानी संस्कृति की ओर,
फिर रुख करो जैविक और कार्बनिक खेती की ओर.
भारत की हरी भरी भूमि को बचाना, कर्तव्य है हमारा,
आओ फिर से मिलकर सत्य करें हम सब,
“जय जवान, जय किसान” का नारा.
जय हिंद!! जय धरती मैया की!!
रचयिता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”
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