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शुक्र पारगमन और सूर्य: एक अद्भुत संयोग

Ubharata Kavi aur Prakriti Mitra
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आज मैं एकदम सुबह उठा,
देखा तो लगा शायद सूरज है कुछ रूठा रूठा,

आज सूरज जी के मिजाज थे कुछ नरम,
आज सुबह वो थोड़े से कम थे गरम.

सोचा की आखिर क्या है बात,
तब जाकर आया मुझे याद,
कि सूरज देवता आज हैं शुक्र पारगमन से नाराज.

इस घटना को देखने के लिए मैं था बहुत रोमांचित,
क्योंकि इस खगोलीय घटना से मैं नहीं था इतना परिचित.

शुक्र पारगमन को देखने का करके मन में होप,
मैंने लगाया अपना टेलेस्कोप,

शुक्र को सूरज पर देख कर मेरी बांछे गयी खिल,
शुक्र ग्रह ऐसा लग रहा था, जैसे सूरज के गोरे गालों पे हो काला तिल.

आज का यह अद्भुत नजारा था इतना प्यारा,
जिसे शब्दों में नहीं बाँध सकता ये जग सारा.

रचयिता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”

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