Menu
blogid : 9659 postid : 39

क्या सच में है हमारा देश महान?

Ubharata Kavi aur Prakriti Mitra
Ubharata Kavi aur Prakriti Mitra
  • 26 Posts
  • 31 Comments

सौ में से नब्बे बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान,
आज सोचा तो लगा कि क्या सच में है हमारा देश महान,

यदि हाँ, तो क्यूँ भूखा मर रहा है हमारे देश का किसान?
क्यूँ भ्रस्टाचार में लिप्त है ये देश?
क्यूँ परम्पराओं का रह गया है केवल अवशेष?
क्यूँ लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है?

क्यूँ सरेआम लड़कियों कि इज्जत पर हमला किया जाता है?
क्यूँ नव विवाहिताओं को दहेज़ कि बलिवेदी पर चढ़ाया जाता है?
क्यूँ अपनी मर्दानगी को साबित करने के लिए महिलाओं पर हाथ उठाया जाता है?
क्यूँ नारियों को पूजे जाने वाले इस देश में हो रहा है,
हर दिन उनका अपमान, क्या इसलिए है हमारा देश महान।

सुना है इस देश में बाल श्रम को अपराध कहा जाता है,
फिर क्यूँ हर छोटी से छोटी दुकान पर हमें एक “छोटू” दिख जाता है?
क्यूँ बच्चों के हाथों में कलम कि जगह औज़ार और बोझ दिख जाता है।

इस देश में सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार कानून चलाया जाता है,
पर क्या यहाँ हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिल पाता है?
यदि हाँ तो क्यूँ हमारे शिक्षा का स्तर गिर रहा है?
क्यूँ हमारा देश आज भी विकासशील शब्द की पटरी पर चल रहा है?

इस देश में लिंग परीक्षण को एक अपराध कहा जाता है,
फिर क्यूँ हर गली चौराहे पर एक लैब रूपी वधशाला को वैध किया जाता है?
गर्भ में ही क्यूँ कन्या भ्रूण की पहचान कर उसे,
पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है।

कहते हैं कि इस देश में दहेज लेना और देना अवैध है,
फिर क्यूँ वर पक्ष वालों के लिए ये आज भी वैध है?
लड़के पर हुए खर्च के नाम पर ये ऐंठते हैं पैसे,
दहेज न मिलने पर लड़की को यातनाएँ देते हैं न जाने कैसे-कैसे।

आए दिन इस दिन में नित नए घोटाले किए जाते हैं,
मंत्रियों पे चलने वाले कोर्ट केसों को टाल दिये जाते हैं।
संसद में चलते हैं बहस के बाण के बजाय चप्पल और जूते,
हम वही मूत्र विसर्जन करते हैं, जहां लिखा होता है “यहाँ न मूते”।

और कैसे करूँ मैं इस महान देश की बखान,
सरकारी कार्यालयों मे ही मिल जाते हैं हमें पान की पीक के निशान।
हम भी कुछ कम नहीं हैं, हम हैं इस महान देश के ऐसे इंसान,
वही पर पीते हैं सिगरैट और खाते हैं पान,
जहां लिखा होता है “यहाँ पर न करें धूम्रपान”।

आज इस कविता के माध्यम से मैं कुछ सत्य बताना चाहता हूँ,
सत्य क्या मैं इस माध्यम से समाज को झकझोरना चाहता हूँ.
क्या अब भी आप को लगता है, मेरा देश महान है।
क्या हम सच में उस महान भारत माँ की संतान हैं?

अगर हाँ तो उठो भारत माँ के वीर जवानो,
अपने अंदर की युवा शक्ति को पहचानो,
उठा लो अपने हाथों में शमशीर,
फिर टोडनी होंगी हमें यह गुलामी की जंजीर।

आओ आज से ही लेते हैं हम ये प्राण,
भारत माँ को पुनः “महान” बनाने के लिए,
न्योछावर कर देंगे हम अपना तन, मन और धन।

जय हिन्द, जय युवा शक्ति,

रचयिता: आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply