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घर के परिवेश के बाहर जो आपके साथ दिखे वही मित्र है।
आपके साथी खेले ओर खाये वही मित्र है।।
स्कूल में प्रवेश के पहले दिन जो आपको देखकर मुस्कुराए वही मित्र है।
आपके लंच बॉक्स से खाना खाये वही मित्र है।।
सजा मिलने के बाद भी जो आपके साथ मुस्कुराए वही मित्र है।
लास्ट बेंच में बैठकर, क्लास के बीच में जो हंसे खिलखिलाए वही मित्र है।।
अनुपस्थित होने पर भी अपने उपस्थित होने का अहसास जो दिलाये वही मित्र है।
दुःख में भी जो खुशी के आंसू दे जाए वही मित्र है।।
क्लास की खास लड़की को देखकर जो बोले “भाभी आ गयी भाई” वही मित्र है।
दिल टूटने पर जो बोले “तेरे लायक नही थी यार” वही मित्र है।।
लड़ाई के नाम पर पसीना है
जिसका छूटे, लेकिन आपको पिटते देखकर जो दुश्मनों को ललकारे वही मित्र है।
पिटाई के बाद जो जख्म देखकर भी आपको मुस्कुराहट दे जाए वही मित्र है।।
घर पर आकर माता पिता के सामने सीधे होने का नाटक दिखाए वही मित्र है।
घर समय पर न पहुंचने पे जो पिताश्री से झूठे बहाने बनाये वही मित्र है।।
हंसते हुए चेहरों के पीछे छिपे दर्द को जो पहचाने वही मित्र है।
जो आपके सुख दुख में एक समान रहे वही मित्र है।।
जिंदगी में जो हम रिश्ता खुद बनाते हैं वही मित्र है।
जो जिंदगी में इत्र की तरह सुगन्ध फैलाये वही मित्र है।।
ऐ मित्र तू है तो जिंदगी है, तू नही तो ये जिंदगी एक बेरंग चित्र है।
एक तू ही तो है जो मेरे हर गुनाहों ओर अच्छे कर्मों का है साथी।
हां तू ही तो मेरा प्यारा, मेरा सहारा एक मात्र मित्र है।
– रचियता : आशुतोष कुमार द्विवेदी “आशु”
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