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किसी राष्ट्र की उन्नत व प्रभावी शिक्षा नीति ही शिक्षा के माध्यम से नागरिकों मे तार्किक, विश्लेषात्मक और अभिनव विचारों का सृजन कर एक सशक्त, समृद्धि और संप्रभु राष्ट्र का निर्माण करती है.
34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति मे किये गए बदलाव आवश्यकता सम्मत है. जिनमे मुख्य रूप से 5वी कक्षा तक मातृभाषा का प्रयोग क्योंकी कई वैज्ञानिक अनुसंधान मे ये साबित हुआ है कि 6वर्ष तक के बच्चों की नयी चीजों को सीखनेकी क्षमता सबसे ज्यादा होती है अतः इस उम्र तक नयी भाषाओ से उनका परिचय करना न्याय संगत लगता है.
6-8वी कक्षा तक रोजगार सम्मत प्रयोगात्मक शिक्षा, विषयो को चुनने की स्वतंत्रता तथा कंप्यूटर भाषा ज्ञान प्रमुख है. क्योंकि आनेवाला समय IT सेक्टर व आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का होगा अतः कम उम्र मे बच्चों को कंप्यूटर प्रोग्रमिंग की ओर झुकाव देना आवश्यक है. उच्च शिक्षा मे 2वर्ष तथा 3वर्ष मे क्रमशः डिप्लोमा व डिग्री प्रदान करना साथ ही M.Phil समाप्त कर 4वर्ष मे पीएचडी समकक्ष डिग्री देना भी बहुत सराहनीय कदम है.
सीमित समय मे किसी सत्र मे प्रवेश व निकासी सुगम कर प्रणाली को लचीला बनाया गया है जो छात्रों को सुविधा देगा.सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद का 6% अब शिक्षा मे लगाने सभीनिर्णय लिए है. ये कदम सराहनीय है परन्तु वर्तमान अदक्ष शिक्षा तंत्र, सीमित उपलब्ध संसाधन व आवश्यकता अनुसार शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमुख चुनौतियां है जिनसे निपटते हुए वास्तविक स्तर पर नयी शिक्षा नीति का क्रियान्वयन ही सही मायनो मे इसकी सफलता का पैमान होगा.
डिस्क्लेमर : उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण जंक्शन किसी भी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
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