badalte rishte
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छिड़ चुकी फिर जंग,
आओ मिल के सब संग संग,
अब तो साथ चलो रे………….
तोड़ी थी जंजीर,
गुलामी की बदली तस्वीर,
वीर शहीदों की कुर्बानी
कुछ तो याद करो रे………
अब तो साथ चलो रे………….
सूरज चमका आसमान में,
लोकतंत्र का उदय हुआ,
कैद हो गयी मगर रोशनी
लौटाओ जन जन को रे……..
अब तो साथ चलो रे………….
भ्रष्ट होगये जन प्रतिनिधि
और प्रशासन भ्रष्ट हुआ,
भ्रष्ट हो गयी गलियाँ सारी
और सिंहासन भ्रष्ट हुआ,
धधक उठी विनाश की ज्वाला
इसे अब और प्रखर करो रे……
अब तो साथ चलो रे………….
युद्धकाल है
मानवता से मानवता का,
उतार फेंकने
तन से चोला दानवता का,
ललकारो तुम हुंकार भरो रे……….
अब तो साथ चलो रे………….
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