badalte rishte
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जलते है अनगिनत दीपक जग यूँही रोशन रहे,
तम को दलते दीपकों से मन भी ये रोशन रहे/
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उजियास बिखरे चहुँ दिशा हर रात यूँ रोशन रहे.
इक रात का ना हो उजाला ताउम्र यूँ रोशन रहे/
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तन हो रोशन मन हो रोशन, पर्व ये रोशन रहे,
मन में हो सद्भावना, अब कुछ नहि अनबन रहे/
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करते सदा जो घर को रोशन वृद्ध वह रोशन रहे,
महफूज हो सब नारियाँ और अस्मतें रोशन रहें/
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है यही मन कामना कि हर भ्रष्ट का अब नाश हो,
सत्य का परचम खिले लहराए फिजां रोशन करे/
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बंधू बांधव साथियों संग मने अब ये शुभ दीपावली,
भरत भूमि देश भारत का हर पर्व यूँ ही रोशन रहे/
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