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एक ख़त मां तेरे नाम ….

Sukirti
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माँ बहुत दिनों के बाद तुम्हारे लिए कुछ लिख रही हूँ |कई साल हो गए तुम्हे ख़त लिखे | आज फिर मन कर आया तुम्हे कुछ लिखने का |माँ याद तो तुम हमेशा ही आती हो, शायद ये कहना गलत होगा दरअसल तुम्हे याद करने की जरुरत ही नहीं पड़ती ,आँखे बंकरती हूँ तो आँचल से अपना सर ढके ,शांत मधुर मुस्कान के साथ मेरे सामने खड़ी हो जाती हो माँ चलो आज फिर से तुम्हारी ऊँगली पकड़ कर आंखे बंद करके मै तुम्हारे साथबीते कुछ पल एक बार फिर जी लेती हूँ |मै फ्राक पहने हुए तुम्हारे पास बैठी हूँ ,और तुम मेरे लम्बे बालों में तेल लगा रही हो तुम मेरे सामनेबैठी गर्म गर्म खाना परोस रही हो |कितना लाड करके तुम खाना खिलाती थी |सच माँ कभी अपने बनाये खाने में वो स्वाद आया ही नहीं |मैंने कभी तुम्हे आराम करते नहीं देखा |उस दुबले पतले शरीर में इतनी हिम्मत कहा से आती थी ये आज तक मेरे लिए रहष्य है |

जब मै थोड़ी बड़ी हुई तुमने मुझे दुनियाके तौर तरीकों के बारे में बताया |मुझे अभी तक याद है तुमने मुझसे एक बार कहा था “मेरे विश्वास कभी मत तोड़ना बेटा ” |ये बात मैंने गांठ बांध ली |आपने हमेशा मुझेहर जगह आने जाने की आजादी दी हर काम करने की आजादी दी ,और यही वजह है की इतने बड़े शहर में मुझे कभी डर नहीं लगता |मेरा ये आत्मविश्वास तुम्हारी ही देन है |मै इतनी बड़ी हो गई हूँ पर आज भी जब तुम्हारे पास आती हूँ तो तुम बाहें फैला कर जब मुझे अपने कंधे से चिपका लेती हो तो मुझे इतनाअच्छा लगता है जो मै शब्दों में नहीं बता सकती | सच उस पल मुझे लगता है जैसे मै अभी भी वही छोटी सी गुड़िया हूँ सारी जिम्मेदारियोंसे व् चिंताओं से मुक्त |

जब मै छोटी थी तो मुझे तुम्हे छोड़कर कही जाने का मन नहीं करता था |दीदी छुट्टियों में बुआ ,चाचा ,मामा लोगों के यहाँ जाती थी पर मेरा मन कही जाने का नहीं होता था ,क्यों कि मुझे लगता था कि मेरे जाने पर तुम अकेली रह जाओगी तुम्हे कही कोई कठनाई न हो | माँ मुझेहमेशा लगता था ,कि मेरी माँ दुनियां की सबसे ज्यादा प्यार करने वाली माँ है (शायद हर बच्चे को एसा ही लगता है ) ,और आज भी मुझे एसा ही लगता है |

माएं एसी ही होती हैं |निश्वर्थी ,निश्छल ,प्यार से भरी हुई |उनके गुणों को गिनाना तो सूरज को रौशनी दिखाना है |कही मैंने पढ़ा था कि”माँ का प्यार युगों -युगों से दुनिया को भयभीत करने वाली ताकतों पर भी भरी पड़ा है |आदिम युग में और उसके बाद भी कबीलाईयुग में हमारा पहला इश्वर पुरुष नहीं बल्कि माँ के सद्रश्य माना गया है ,जो इस धरती को सिंचित करती है ,अन्न देती है,पानी देती है ,और हमारे जीवन को संवारती है |युगों -युगों से धरती की तुलना माँ से की जाती रही है |माँ के जरिये बच्चा असल मायनो में जानता है की सच्चा प्यार क्या होता है और बिना शर्त प्यार कैसे किया जाता है |

तुम्हारे लिए जितना भी कहूँ माँ कम है क्यों की माँ केवल माँ नहीं होती हमारे जीवन में बिखरने वाली ख़ुशी ,मूड ,प्यार और अहसासों के हर कदम पे उसकी खुशबु होती है |

माँ सिर्फ तेरे लिए …………………….

माँ तेरा वो एक स्पर्श ,
आज भी उसकी याद
मिटा देती है सारी थकन |

माँ तेरी वो हसी ,
कितनी मधुर मीठी ,
हवा में जैसे बजे घंटियाँ

तेरा आँचल से ढका वो माथा ,

माथे पे सिंदूरी आभा ,
मन को अति भाए तेरा रूप वो सादा|

माँ तेरे वो आशीष ही,
मुझको यहाँ तक लाये ,
मेरे जीवन में हर पल खुशबू फैलाएं |

बस प्यार तेरा एसे ही ,
मुझे हरदम मिलता जाये ,
हर जन्म में तू ही बस मेरी माँ कहलाये |
हर जन्म में तू ही बस मेरी माँ कहलाये ..

सभी माओं को …

HAPPY MOTHERS DAY ..

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