sahity kriti
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भारतीय संस्कृति
एक महासमुद्र
जिसमें गोता
लगाएं तो मिलें
त्योहारों और उत्सवों के
रंग बिरंगे मोती|
इसमें समायीं
स्नेह, वात्सल्य,
विश्वास,रक्षा और
सेवा की नदियाँ|
हिलोरें मारता
प्यार का झरना भी
जिसकी बौछारों से
आह्लादित होती
प्यारी सी बहना|
बांध कलाई पर
प्रीत की डोरी
औ मांगती सलामती
भैया की
भैया लेते बलैया
देते राखी बंधवाई!
राखी तो है
प्यार का
अटूट बंधन!
भाई बहन का बंधा
प्यार रेशम के धागे से|
रक्षाबंधन तो है
रक्षा औ विश्वास का मेल,
नहीं यह कोई
सौदेबाजी का खेल |
परम्पराएँ हैं
सबसे बड़ी
जिनसे जीवित है
आज हमारी
सभ्यता संस्कृति|
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