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प्यार का झरना ….रक्षाबंधन

sahity kriti
sahity kriti
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भारतीय संस्कृति

एक महासमुद्र

जिसमें गोता

लगाएं तो मिलें

त्योहारों और उत्सवों के

रंग बिरंगे मोती|

इसमें समायीं

स्नेह, वात्सल्य,

विश्वास,रक्षा और

सेवा की नदियाँ|

हिलोरें मारता

प्यार का झरना भी

जिसकी बौछारों से

आह्लादित होती

प्यारी सी बहना|

बांध कलाई पर

प्रीत की डोरी

औ मांगती सलामती

भैया की

भैया लेते बलैया

देते राखी बंधवाई!

राखी तो है

प्यार का

अटूट बंधन!

भाई बहन का बंधा

प्यार रेशम के धागे से|

रक्षाबंधन तो है

रक्षा औ विश्वास का मेल,

नहीं यह कोई

सौदेबाजी का खेल |

परम्पराएँ हैं

सबसे बड़ी

जिनसे जीवित है

आज हमारी

सभ्यता संस्कृति|

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