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स्मृति मंजूषा में सहेजी धरोहर ….माँ

sahity kriti
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माँ …..एक सुखद अनुभूति ….एक विश्वास….अवर्णनीय…..अचल …अखंड…. नितांत निश्छल रिश्ता !!!!!!!!!
माँ सृष्टि की सुन्दर सृजना है…….. ईश्वर की अप्रतिम कृति है …..इस संसार के प्रत्येक स्थान पर हर किसी के पास होती है…..हृदय धरा के कण-कण में ….शरीर के रोम-रोम में बसी है यह कृति !!! जिसके `होने’ का मात्र अहसास भर ही होना अनिवर्चनीय सुखद अनुभूति करा देता है …….माँ में ही अव्यक्त ,अदर्शनीय ईश्वरीय सत्ता विद्यमान है…….. जहाँ ईश्वरीय सत्ता का आभास नहीं है वहाँ माँ है

हर माँ को समर्पित मेरी ये कुछ पंक्तियाँ…………

स्मृति मंजूषा में सहेजी धरोहर
निकाली बाहर परत दर परत खुलती गयी |
पल-पल याद आए बिताए संग तेरे,
आकाश सा प्रसरित आँचल तेरा |
तेरे अंक की शीतल छाया में ,
बुनती ताने-बाने ममत्व के|
ममता का वह सागर है माँ ,
जिसकी चटुल लहरें लेती हिलोरें |
वात्सल्य की वह सरित प्रवाह है माँ,
जिसमें समाहित मिलते रत्न अनेक|
बगिया की वह सुगन्धित पुष्प है माँ ,
जिसकी सुरभि से होता सुरभित चमन |है
निशा की वह शीतल चाँदनी है माँ ,
जो दुखती काया को शीतल कर देती|
दर्पण की वह अनुकृति है माँ ,
जिसमें त्याग,समर्पण,ममता दृष्टिगत होती|
तीर्थों की वह पवित्र धाम है माँ ,
जिसकी गोद में चारों धाम विराजित हैं|
पूजा की वह सुसज्जित थाली है,
जिसमें अर्चन नैवेद्य सामग्री निहित है |
चूडियाँ उसकी वह वाद्य यंत्र है ,
जिसकी थाप पर नयन लेते मीठी नींद |
अमृत का वह प्याला है माँ ,
जिसे ओष्ठों से लगाते ही कड़वाहट दूर हो जाती |
“माँ “शब्द इतना प्यारा है ,
जिसके चरणों में स्वर्ग सारा है |
माँ अनजानी सी खुली किताब के पन्नों की वह इबारत है,
जो शब्दों में , वर्णों में भी न समाती माँ……..
शब्दातीत है ……वर्णातीत है……है ……और है वर्णनातीत माँ !!!!!!!!!

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बस अब अंत में यही कहना चाहूंगी कि इस धरती पर माँ किसी चमत्कार से कम नहीं ………
मातृत्व धर्म का पालन करने वाली हर माँ को मेरा नमन!
मातृ दिवस पर हर माँ को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं !!!!!

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