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मिल जाये

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कितना दर्द सहूँ कि सृजन हो जाये ………………….कितनी देर रुकूँ कि समुन्दर हो जाये …………..चलते चलते नदी का मीठापन खो गया ……………कब तक हो  बंद हो आंखे कि सबेरा हो जाये …………………अगर आपको समय मापना आ गया तो जो आप चाहते हा वह आपको यही मिल जायेगा …………शुभ रात्रि

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