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मैं अकेले कब था

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जिन्दगी जरा मुड़ करके तो देख …………………..उम्र द उम्र तेरे न जाने कितने पड़ाव …………………फिर भी तुझको अकेलेपन का जख्म …………………….सुन तो सही  सन्नाटो में एक नज्म …………………….वो रास्ते वो वास्ते जो न आयेंगे फिर …………………कितने भी जतन कर ले न बनेगे बज्म ……………………बस है कोई तेरे अंधेरो में अभी भी ……………..आलोक का साया वो पूरब का नज्म……………………..आलोक चान्टिया

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