Menu
blogid : 8015 postid : 603

रात हताश हो गयी

all indian rights organization
all indian rights organization
  • 821 Posts
  • 132 Comments

मैं क्यों कहूँ  आज फिर रात हो गयी ………… शायद सूरज की पश्चिम से बात हो गयी ………………..हर कोई अपना आराम ढूंढ़ता है यहाँ …………….बस सुबह का उजाला देख रात साथ हो गयी ……………ऐसा नही कि आलोक को नही कोई तलाश …………………..पर क्या करें जिन्हें तलाशा उनसे उचाट हो गयी ………………कहते है हीरा चमकता अँधेरे में अक्सर ………………..इसी लिए कोयले में एक शाम हताश हो गयी ……………….सोच कर देखिये और अपने में हीरा ढूढ़ लीजिये …पर इसके लिए कहना पड़ेगा ……शुभ रात्रि

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply