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शिक्षा का अधिकार २००९

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प्रेस विज्ञप्ति
अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने जताई शिक्षा के अधिकार पर आपत्ति
आज दिनांक १४ अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिन पर अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने देश के कर्ण धरो यानि बच्चो के लिए बनाये गए शिक्षा के अधिकार २००९ की पोल खोलते हुए संविधान के अनुच्छेद २१ अ ( शिक्षा के अधिकार ) की खामियों की ओर सरकार का धयान खीचने के लिए विशेष शिक्षक एवम अभिभावक संगठन उत्तर प्रदेश को समर्तःन देते हुए विधान सभा के सामने एक दिवसीय धरना दिया | संगठन को इस बात पर घोर आपत्ति है कि सरकार ने एक्ट तो बना दिया और मानिये उच्चतम नयालायाय ने उस पर मोहर लगते हुए २५% सामजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चो के हर तरह के प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश पर भी मोहर लगा दी पर सरकार्र ने इस बात का कोई प्राविधान नही किया कि सिर्फ फीस माफ़ कर देने भर से गरीब  बच्चो का क्या भला होगा क्यों कि पुरे वर्ष न जाने कितने मदों में स्कूल पैसे कि मांग करता है और वह पैसा गरीब का बच्चा कहा से लायेगा , सरकार को इस तरह के किसी भी पैसे को लेने पर रोक लगाने के लिए भी प्राविधान करना चाहिए | इस के अतिरिक्त सरकार ने इस एक्ट में कहा है कि जब तक स्कूल में २०*२० के ५ या ७ कमरे नही होंगे , स्कूल को मान्यता नही दी  जाएगी  , पर यह एक आसन काम नही है कि स्कूल खोलने वाले के पास इतने कमरे खोलने भर का पैसा हो और इतना पैसा पूंजीपतियो के पास है जिस से लगता है कि सरकार गाँव कि प्राथमिक शिक्षा को भी पूंजीपतियो के हाथ बेचना चाहती है , इस लिए इस तरह के नियम में छुट होनी चाहिए क्योकि झोपडी बना कर भी अच्छी शिक्षा दी जा सकती है | हमारे देश में गढ़ शिक्षा को सदियो से मान्यता रही है और लोग उसके आधार पर उच्चा कक्षों में प्रवेश आसानी से ले लेते थे पर अब बिना मान्यता के पाए स्कूल से शिक्षा पाने पर सकाल पर एक लाख का जुरमाना होगा जो यह सिद्ध करता है कि शिक्षा देने का अधिकार पूंजीपतियो के पास हस्तांतरित किया जा रहा है | सब से बड़ी विडंबना यह है कि शिक्षा के अधिकार में विलांग बच्चो को भी सम्मिलित कर लिया गया है यानि वह भी सामान्य स्कूलों में प्रवेश पा सकेंगे लेकिन सरकार द्वारा न तो विशेष बच्चो के लिए शिक्षक नियुक्त किये गए है और न ही उस तरह कि पढने कि सामग्री बनाई गई है | ८०% बहरा बच्चा , पूरी तरह अँधा बच्चा वही पुस्तके कैसे पढ़ पायेगा जो सामान्य बच्चा पढ़ेगा यही नही बच्चा सुन कैसे पायेगा ? ऐसे बच्चो के लिए विशेष शिक्षक कि नियुक्ति कि जानी चाहिए  | ऐसा लगता है कि सामजिक कल्याण का ढोंग करने के लिए सरकार ने जल्दबाजी में यह कानून तो बना दिया पर जनता और गरीब की आशाव की पूरी तरह अवहेलना कर दी है . इस सन्दर्भ में सामजिक कार्य करता मुण लाल जी के नेत्रत्व ने सरकार को एक ज्ञापन दिया गया है | संगठन के अध्यक्ष डॉ आलोक चांत्तिया ने कहा कि इन गंभीर त्रुटियों के लिए सरकार से जन सुचना के अंतर्गत सुचना मांगी गई है और सूचना के प्रकाश में जल्दी ही इस लड़ाई को अमली जमा पहनाया जायेगा | उमेश शुक्ला जी ने भी कहा कि वह जल्दी ही सरकार को ज्ञापन देकर आन्दोलन करेंगे | पुरे प्रदेश से करीब ५० लोग एकत्र हुए | संगठन के प्रमुख डॉ चान्त्टिया  ने कहा कि विकलांग बच्चो को पढ़ने वाले शिक्षको की स्थाई नियुक्ति और विकलांग बच्चो के प्रवेश में आने वाली मौलिक बाधा  के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया जायेगा क्यों की संगठन हमेशा से ही लोगो के अधिकारों के प्रति चिंतित रहा है और रहेगा | इस अमुके पर उन्हों ने सबके साथ डॉ अम्बेडकर के कार्यो को याद करते हुए कहा कि अगर संविधान का लाभ देश के बच्चो को ही नही मिला तो डॉ अम्बेडकर के आदर्शो को धक्का लगेगा | इस तरह के असंवैधानिक शिक्षा के अधिकार के पार्टी सभी ने अपने विचार रखा और यह निश्चय  किया कि जब तक सही कानून  नही आ जाता यह आन्दोलन चलाया जायेगा
डॉ आलोक चान्त्टिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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