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दोस्तों उत्तर – प्रदेश के चुनाव घोषित हो चुके हैं और और चुनाव की बजह से उत्तरप्रदेश की राजनीति मैं भूचाल सा आ गया है, और राजनीतिज्ञों के चरित्रानुसार सारी राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने के लिए उनके आस-पास ऐसे भिनभिनाने लगीं हैं जैसे गुड देखकर मक्खियाँ भिनभिनाती हैं !
जैसा कि हम सभी जानते हैं की उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव मैं माया की छाया ने मुलायम सिंह जी की कठोर साईकिल को पंक्चर कर, भाजपा के फूल को धूल मैं मिलाते हुए, कांग्रेस के कटे हाथ को शोले के ठाकुर के कटे हाथों की तरह करके प्रदेश की सत्ता पर अपना हत्था जमाया था ! और प्रदेश की जनता ने बड़े विश्वाश के साथ देश के दिल कहे जाने वाले प्रदेश उत्तरप्रदेश की बागडोर उनके हाथों मैं सौंपी थी, प्रदेश की जनता ने सोचा था की माया, महामाया बनके प्रदेश की काया पलट देगी, मगर उनकी सरकार ने जितना भी कमाया कुछ उनके हाथी पार्कों ने और कुछ उनके चमचों ने खाया ! मगर भोली जनता ने कुछ न पाया, बल्कि माया जी ने चुनाव से ठीक पहले प्रदेश को कद्दू समझ कर कह दिया कद्दू कटेगा और चार बेतुके भागों मैं बंटेगा ! पिछली बार तो मायावती जी अपने तथाकथित दलित वोट और मुलायमसिंह जी की आतताई सरकार से आजिज आ चुके सवर्ण वर्ग के सहयोग से पूर्ण बहुमत से हाथी पर बैठकर लखनऊ पहुँच गई थी मगर लगता है इस बार उनकी डगर इतनी आसान नहीं होने वाली है, और अन्य राजनितिक पार्टियां भी इस बात को भांपते हुए पूरे जोशो खरोश से देश के इस सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश की सत्ता पर आसीन होने के लिए एड़ी छोटी का जोर लगा रही हैं ! इसी के चलते सभी पार्टियों ने अपने – अपने प्रमुख खिलाडी इस चुनाव रूपी पिच पर उतार दिए हैं ! फिर चाहे वह देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हो, जिन्होंने अपनी बागी खिलाडी सुश्री उमाभारती को उत्तर प्रदेश के चुनाव मैं ये सोच कर मैदान मैं उतारा हो कि जैसे लोहा लोहे को काटता है, जहर – जहर को मारता है वैसे ही नारी – नारी को काटती है और वे मायावती की काट उमाभारती से करवाना चाहती है ! वहीँ पिछले चुनाव मैं मुलायम सिंह जी की साईकिल की हवा पहले ही मायावती जी के हाथी के बैठ जाने से निकल गई थी, वहीँ रही-सही कसर मुलायम सिंह जी के पंक्चर सुधारक अमर सिंह जी के पार्टी छोड़ने ने पूरी कर दी, अत: इस चुनाव मैं भी यदि माया जी के हाथी ने मुलायम सिंह जी की कम हवा वाली साइकिल पर पैर रख दिया तो उनकी साइकिल तो सदा के लिए वर्स्ट हुई समझो, पर वह अपने पिछले चुनाव के बिछड़े मुस्लिम राजनीतिक भाई आजम खान से भरत मिलाप कर चुके हैं इस आशा के साथ की कल्याण सिंह की वजह से जो मुस्लिम मतदाता उन्हें छुआछूत की बीमारी समझ कर दूर भाग गए थे वे फिर से उन्हें अपना मसीहा समझ कर वोट दें !
वहीँ देश की सत्तारूढ़ पार्टी ने भी अपने नए राजनीतिक बबलू को कटोरा लेकर कांग्रेस के बैड बॉय दिग्गी राजा के साथ खुला छोड़ दिया है, कि वे उत्तर प्रदेश मैं अपना कटोरा लेकर जाएँ और उत्तर प्रदेश मैं कॉंग्रेस को ढूंढते रह जाओगे की स्तिथि से बाहर निकाल कर लाएं और इसके लिए उन्हें अपना चुनावी कटोरा किसी भी मत रूपी दाता के सामने फैलाना पड़े तो फैलाए ! और उनके ऊपर इस कटोरे का असर ये हुआ कि जिन लोगों से उन्हें मत रूपी भिक्षा मांगनी थी उसी उत्तर प्रदेश के दाता को उन्होंने कटोरा थमा कर भिखारी करार दे दिया, बेडा गर्क, एक तो वैसे ही कॉंग्रेस के भ्रष्ट मंत्रियों ने सरकार की नाक सूपनखा की भांति कटवा दी है, ऊपर से राहुल जी ने उमाभारती जी को पूतना कहकर उन्हें अपना शत्रु बना लिया है, जो चुनाव तक उनका पीछा आसानी से छोड़ने वाली नहीं है ! एक और रोचक घटना इस चुनाव मैं चुनाव आयोग ने मायावती जी के विशालकाय हाथियों को ढकने के आदेश देकर जोड़ दी है ! और ये तय कर पाना मुश्किल है की चुनाव आयोग के इस आदेश से मायावती जी की सरकार को नुक्सान पहुँच रहा है या लाभ क्योंकि चुनाव आयोग के इस हाथी ढकू आदेश से मायावती जी के वोटर्स मैं ये सन्देश जा रहा है की मायावती जी ने प्रदेश के लिए कुछ किया हो न किया हो किन्तु हाथी और हाथिवालों के लिए काफी कुछ किया है, जिससे उनके पारंपरिक वोटर्स मैं उनकी आस्था बढती ही नजर आ रही है ! बहरहाल चुनाव मैं जो भी नतीजा आये, मगर इन सब घटनाओं से उत्तरप्रदेश का चुनाव रोचक बहुत हो गया है !
लिखने को और भी बहुत कुछ है मगर अब खत्म करता हूँ इस विनम्र अपील के साथ की अपने मत का समुचित प्रयोग अवश्य करें मतदान वाले दिन को अवकाश का दिन न समझे और अच्छी सरकार चुनने मैं अपना योगदान दें जिससे हमारा राष्ट्र और उन्नति की दिशा की ओर अग्रसर हो !
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