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ओह्ह्हह्ह….. लादेन तुम ऐसे ही अंत के हकदार थे – Jagran Junction Forum

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ओह्ह लादेन आखिर तुम मारे गए, दुनिया के कई निर्दोषों का अकस्मात ही मौत से साक्षात्कार कराने वाले आखिर तुम भी मौत के सामने विवश हो ही गए ! अपनी इतनी भयानक मौत की कल्पना भी शायद तुमने न की हो कभी किन्तु तुम ऐसे ही दुर्दांत के हकदार थे ! अपने जीते जी तुम दुनिया का अमन -ओ -शुकून छीनने मै इतना व्यस्त रहे की शायद तुमने कभी इस बारे मै सोचा भी न हो की तुमने अपनी जिन्दगी मै जो भी किया, क्यों किया ? किसके लिए किया ? यदि तुमने ये सब खुदा की वन्दगी मैं किया तो क्या तुम्हारे इन दुष्कर्मों से खुदा खुश होगा ? यदि तुमने ये अपने धर्म के प्रचार के लिए किया, तो अफ़सोस तुमने अपने धर्म को सारे विश्व मैं शर्मशार किया है ! क्योंकि तुम्हारे इन दुष्कर्मों से दुनिया की नजर मैं इस्लाम धर्म की छवि एक हिंसक और कट्टर धर्म की बन गई है ! क्या इससे तुम अपने धर्म का भला करने मै कामयाब रहे ! यदि तुम्हारी ये जेहाद अपने मुस्लिम भाइयों के सम्मान की रक्षा के लिए थी तो अफ़सोस तुम उसमे भी परास्त हुए, क्योंकि तुम्हारे दुष्कर्मो से तुम्हारी कौम को सम्मान तो दूर सारे विश्व मैं आज शक की निगाह से देखा जा रहा है और कुछ मुल्कों मैं तो नफरत की नजर से भी देखा जाता है ! क्या यही तुम्हारा उद्देश्य था ? तुमने धर्म के नाम पर जो जंग छेड़ी थी तुम क्यों उससे अपने बच्चों को दूर रखना चाहते थे? क्योंकि तुम अच्छी तरह जानते थे, जो रास्ता तुमने अख्तियार किया है वो सिर्फ गलत रास्ता है और मौत की ओर जाता है ! जिस रास्ते पर तुम अपनी संतान को नहीं डाल सकते थे उस रास्ते पर चलने के लिए दूसरों की संतानों को क्यों प्रेरित करते थे ? इससे पता चलता है तुम कितने बड़े स्वार्थी थे ! भोले – भाले मासूमों को चंद रुपयों का लालच और धर्म के नाम पर बहकाकर तुम अपना वेह्शियाना खेल खेलत्ते थे ! जिस भी मुल्क मैं तुम रहे उस मुल्क का सत्यानाश करवा दिया तुमने लादेन ! तुम अफगानिस्तान मैं जब तक रहे वहां के लोगों का जीना दुश्वार किया तुमसे छुटकारा पाने के लिए वहां की जनता को कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ी सारी दुनिया जानती है ! तुम वहां से भागते हुए पाकिस्तान पहुंचे मगर तुमने अपने ही पनाहगार पाकिस्तान को डसना शुरू कर दिया, और तुम्हारे पहुँचते ही वहां भी खून की नदिया बहने लगीं और अब तुम्हारे मरने के बाद भी तुम्हारे हमदर्द पाकिस्तान को विश्व बिरादरी मैं आज शर्म सार होना पड़ रहा है ! खैर ये तो होना ही था तुम्हारी मौत से पाक का घिनौना चेहरा भी दुनिया के समक्ष बेनकाब हुआ ! वो तो होना ही था बुरे का साथ देने वाला भी बुरा ही होता है ! इतना सब करने के बाद भी तुम जिन्दगी भर खानाबदोश का जीवन बशर करते रहे , दुनिया को मौत का डर दिखाने वाले मौत के डर से कायरों की तरह छिप कर जीवन बिताते रहे ! जीते जी तुम्हारी जो दुर्दशा थी तुम्हारी मौत के बाद तुम्हारी दशा उससे भी बुरी हुई ! तुम्हारे खुद के मुल्क ने तुम्हारी मिटटी लेने से इनकार कर दिया ! मानवता ये कहती है की मरने वाले की मौत पर शोक मनाया जाता है, किन्तु तुम्हारी मौत पर विश्व के कई स्थानों पर जश्न मनाया गया, और जो लोग अभी भी तुम्हारी नीतियों का समर्थन करते हैं वे खौफ के मारे तुम्हारी मौत का मातम नहीं मना सके ! जिस इस्लाम के लिए तुमने जिन्दगी भर खून बहाया उसी इस्लाम के नियम के विरुद्ध तुम्हे समुन्दर के खारे पानी मैं फेंक दिया गया ! तुम्हारा मुंह भी पवित्र मक्का की ओर नहीं किया गया ! शायद खुदा भी तुम्हारा चेहरा देखना नहीं चाहता होगा ! लादेन तुम्हारी इस मिटटी पलीत पर किसी शायर की ये पंक्तियाँ मुझे याद आती हैं

” नहीं आया तेरी मैय्यत पर कोई भी अपना
तेरे कातिल थे तेरी लाश डुबोने वाले ”

इंसानियत के मानने वालों को शायद ये नागवार गुजरे जो अमरीकन सेना ने तुम्हारी मौत के बाद किया है, किन्तु एक दृष्टि से उन्होंने सही किया की तुम्हे इस धरती पर कहीं नहीं दफनाया क्योंकि तुम्हारे दुष्कर्म शायद वो धरती झेल न पाती और जिस धरती पर तुम्हे दफनाया जाता उस जगह की धरती शायद सदा के लिए बंजर हो जाती ! इसलिए तुम्हे समुन्दर के खारे पानी मैं फेंक दिया गया मगर शायद समुन्दर भी तुम्हे अपनी आगोश मैं न ले और तुम्हारा ये अपवित्र शरीर यों ही लहरों के दरम्यान गोते लगाता रहे ! शायद … शायद … शायद नहीं यक़ीनन तुम इसी के हकदार थे !

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