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बदलते रिश्ते ( हास्य व्यंग )

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दोस्तो मेरा एक पसंदीदा गीत है हर घडी बदल रही ही रूप जिन्दगी, छांव है कभी है धूप जिन्दगी, हर पल यहाँ जी भर जियो जो है समां कल हो न हो, इस गाने को सुनकर मैं ख़ुशी से जीने की प्रेरणा लेने का प्रयास करता हूँ, और ऐसे ही ख़ुशी – ख़ुशी मैं मैंने सोचा यार इंसान समाज मैं अकेला पैदा होता है, मगर उसके साथ पैदा होते हैं, कई रिश्ते ! और इन्ही रिश्तों के साथ वेह बढ़ता है, और उसके रिश्ते भी उसकी बढती उम्र के साथ बढ़ते ही जाते हैं! जो आज किसी का बेटा है, कल वेह किसी का बाप होगा, जो किसी का बाप है वेह कल किसी का दादा होगा ! कहने का तात्पर्य ये है की यधपि ऊपर दिए गए मेरे गाने की भांति हर घडी तो रिश्ते नहीं बदलते, किन्तु समय – समय पर इंसान नए रिश्तों मैं जुड़ता जाता है!

देखा जाए तो शादी के बाद इंसान को दहेज़ के साथ – साथ नए रिश्ते भी थोक के भाव मिलते हैं ! जैसे सास – ससुर, साला – साली बगैरह – बगैरह ! इनमें से कुछ कटीले रिश्ते होते हैं, और कुछ रसीले !   उदहारण – अगर लड़की के लिहाज से देखा जाए तो उसका सास से रिश्ता ! सास – बहू का रिश्ता वैसा ही  होता है, जैसे नगीना फिल्म मैं श्रीदेवी और अमरीशपुरी का था ! मैं तेरी दुश्मन दुश्मन तू मेरा मैं नागिन तू सपेरा,  वाला गाना यहाँ पर चरितार्थ होता है, अगर बहू सीधी हुई तो, सास उम्र भर अमरीशपुरी की तरह उसे अपनी बीन पर नचाएगी ! और अगर बहू मतलब नागिन  ने    नाग मतलब अपने पति रूपी जड़ी बूटी अपने कब्जे मैं कर ली तो सास रूपी अमरीशपुरी जितनी भी बीन बजा ले ये बहू पिटारे मैं नहीं आने वाली ! तो ये था कटीले रिश्ते का उदाहरण अब उदाहरण नंबर २ रसीले रिश्ते का तो शादी के बाद  जो सबसे रसीला रिश्ता बनता है वेह है जीजा और साली का इन दोनों का रिश्ता ऐसा होता है जैसे दूध और मलाई का जीजा अगर दूध है तो साली मलाई की भांति होती है अगर दूध मैं से मलाई निकाल दी जाये तो दूध की तासीर कम हो जाती है, और दूध कुछ बुझा – बुझा सा लगने लगता है, वैसे ही मलाई जब तक दूध मैं मिक्स रहती है खिली – खिली लगती है मगर दूध से अलग होते ही, उसकी रंगत भी कुछ कम होने लगती है ! तो जीजा – साली के इसी Eastman Colour रिश्ते पर आज हम अपने अँधेरे दिमाग की बत्ती जलाकर प्रकाश डालने की कोशिश  कर रहे हैं ! हो सकता है इसे पढने वाले कुछ जीजे नाराज हो जाएँ, मगर सालियों की सुरक्षा को देखते हुए मैं ये रिस्क उठाने को तैयार हूँ !

साथियों साली और जीजा का रिश्ता शादी वाले दिन से ही प्रगाढ़ हो जाता है, बल्कि यों कहें की अब तो शादी से पहले ही प्रगाढ़ हो जाता है, जीजा चाहे जैसे भी हो, साली को उसमें एकदम लेटेस्ट हीरो नजर आता है, जैसे रणवीर कपूर, ऋतिक रोशन, शाहिद कपूर बगैरह बगैरह  उसकी नजर मैं उसके जीजाजी सबसे हेंडसम होते है ! साली अपने जीजाजी के साथ जब चलती है तो ऐसे अकड़ कर चलती है, जैसे रेम्प पर कोई मॉडल फेशन परेड कर रही हो ! अपनी सहेलियों से अपने नए जीजाजी को इतनी गर्मजोशी से मिलाती है जितनी गर्मजोशी से तो मनमोहन सिंह जी ने बोरक ओबामा को अपने सांसदों से भी नहीं मिलाया होगा ! पूरी ससुराल मैं साली ही जीजाजी का सबसे ज्यादा ख्याल रखती है ! साली के लिए अपने जीजाजी के दिल मैं, बेहद मान – सम्मान प्रेम, स्नेह, भरा पड़ा होता है, और इसका इजहार सालियों ने समय समय पर जीजाजी के नाम को किसी पुराने कंप्यूटर की भांति अपग्रेड भी किया है ! जैसे कंप्यूटर होता था Pentium फिर Pentium II और इसी श्रृंखला मैं लेटेस्ट है Dual 2 Core , उसी प्रकार पहले साली अपने जीजा को जीजाजी कहके बुलाती थीं और ये पुराने कंप्यूटर के मॉडल की तरह बहुत लम्बे अरसे तक चला, और अभी भी पुराने डिजायन की सालियाँ जीजाजी नाम से ही संबोधन करती हैं, मगर आजकल की मोडर्न सालियों ने देखिये जीजाजी को कैसे अपग्रेड किया है ! पहले जीजाजी का जी निकाला बेचारा जीजा हो गया, इससे भी और मोडर्न सालियों ने इस जीजा का डंडा हटाकर ऊ की मात्रा लगा दी और जीजा का जीजू कर दिया ! अब सुनने मैं आ रहा है जीजू का अपग्रेड वर्जन जीज आ गया है, देखना है ये कबतक प्रचलन मैं रहता है, और इसके बाद जीज का नया रूप क्या होगा ! लेकिन कोई भी जीजा अपने नाम के साथ हो रही इस क्रांति का बुरा नहीं मानता और उसे वक्त की मांग समझ बुरका समझ कर ओढ़ लेता है ! लेकिन सालियों की ऊपर गिनाई गई खूबियों के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ, की सालियाँ जो हैं वेह एक प्रकार से फूलों की डालियाँ होती हैं, जो की जीजारुपी गुलशन को सदा महकाती रहती हैं ! अब हम अपने दिमाग के बदमाश घोड़े दौडाते हुए विवेचना करते हैं जीजाजी की खूबियों की – 

जीजा जी की परिभाषा – हालाँकि  जीजा रूपी इस सामाजिक जीव   को परिभाषित करना बड़ा ही कठिन कार्य है  फिर भी हम जैसे जागरूक व्यंगकारों ने  समय समय पर  जीजा को अलग – अलग परिभाषाओं से परिभाषित किया है, और उन सारी परिभाषाओं के निचोड़ मैं एक सम्मिलित परिभाषा निकल कर आई है जो इस प्रकार है ” जीजा एक ऐसा असामाजिक प्राणी है, जिसे अपनी साली से रोमांस और छेड़छाड़ करने की पूर्ण सामाजिक मान्यता प्राप्त है !”  अगर किसी और बदमाश व्यंगकार के दिमाग मैं जीजा की परिभाषा हो तो निविदाएँ आमंत्रित है, अगले एपिसोड मैं उनकी परिभाषाओं पर विचार किया जायेगा ! ऊपर वर्णित परिभाषा को सामाजिक मान्यता कैसे प्राप्त है, उसका उदाहरण है यह प्रचलित भारतीय कहावत ” साली आधी घरवाली होती है ”  मगर आप सबको जानकर शायद हैरानी हो की जब हमारी जीजा – साली रिसर्च टीम ने इस पर सर्वे किया तो, चौंकाने वाले आंकड़े हमारे सामने आये और 90 प्रतिशत जीजा इस आधी घरवाली कहावत का लाभ उठाते हुए अपनी आधी घरवाली को पूरी घरवाली बनाने की फिराक मैं रहते हैं ! जी हाँ वो तो सालियाँ और सालियों की दीदियाँ अगर सजग न हों तो ये आंकड़ा 90 प्रतिशत को भी पार कर सकता है ! 10 प्रतिशत जीजाओं को इसलिए छोड़ दिया गया है क्योंकि अपवाद हर जगह मौजूद होते हैं, और 10 प्रतिशत सामाजिक जीजा भी समाज मैं विचरण करते हैं ! इसका दूसरा फ़ायदा हमारे पढने वाले ऐसे ही असामाजिक जीजाओं को भी मिलेगा जो संदेह का लाभ खुद को देते हुए अच्छे जीजाओं मैं शामिल होने की नाकाम कोशिश करेंगे, क्योंकि हमारी टीम अभी ऐसे जीजाओं को expose करने के लिए जीजाओं की और मानसिकताओं को दर्शाने वाले आंकड़े पेश कर रही है !

 

 

 दोस्तो हमारा देश प्रगतिशील देश है, और प्रगतिशील देश की इस प्रगति मैं अपने व्यापार की प्रगति को देखते हुए आज हर व्यवसाई ने स्कीम का सहारा लिया हुआ है, जैसे चड्डी के साथ बनियान फ्री ! शूट के साथ कमीज फ्री ! TV के साथ CD फ्री वैसे ही ये जीजारुपी प्राणी सोचता है बीवी  के साथ साली फ्री ! और भारतीय मानसिकता है की अगर उसे फ्री की कोई चीज मिल जाये तो उसे छोड़ता नहीं है, उसे खरीदी हुई चीज से ज्यादा प्यारी स्कीम की चीज होती है, वैसे ही जीजाओं का हाल है बीवी से ज्यादा साली प्यारी होती है ! सोचते हैं बीवी तो घर की है कहाँ जा रही है, लेकिन साली तो ससुराल रूपी वगिया का वेह फूल है, जिसे एक न एक दिन कोई और भंवरा खिला कर ले ही जाएगा, और ये बदमाश जीजे देखते रह जायेंगे बाग़ के माली की तरह  अपने सबसे प्यारे फूल को किसी और के गले की  माला बनते ! मगर इन बदमाश जीजाओं की बदमाशी साली के किसी दूसरे के गुलदस्ते की शोभा बनने के बाद भी ख़त्म नहीं होती वो कैसे तो सुनिए ऐसे जीजाओं की शौरगाथा का अगला अध्याय ! ऐसे जीजा साली का विवाह होते ही, उसे अपने घर बुलाते हैं गुलदस्ते सहित गुलदस्ता मतलब साली का पति और जीजे का साढू ! अब गुलदस्ता बढ़ा ही बेचारा टाइप का जीव होता है क्योंकि उसकी नई – नई शादी हुई होती है और उसे फूल की हर बात माननी पड़ती है, दूसरा चूँकि उसकी साली उम्र मैं उससे बड़ी होती है, तो बेचारा उससे मजाक भी नहीं कर सकता ! मगर अब ये पुराना जीजा एक फूल दो माली की जगह पर दो फूल एक माली हो जाता है ! बड़ी आवभगत करता है, अपनी साली और गुलदस्ते की ! बेचारा गुलदस्ता सब समझते हुए भी कुछ नहीं कर पाता सिर्फ तीसरे umpire की भांति बैठा रहता है, क्योंकि जबतक मैदान का umpire refer न करे तीसरा umpire गलत निर्णय पर भी अपना निर्णय नहीं दे सकता, और यहाँ मैदान का umpire याने की जीजा तो सारे निर्णय खुद ही लेने के चक्कर मैं रहता है ! ऐसा ही एक गुलदस्ता मेरे पड़ोस मैं आया अपनी बीबी को लेकर और  मेरे पडोसी भाईसाहब  भी 90 प्रतिशत वाले जीजाओं मैं से थे और आधी घरवाली को पूरा वनाने के चक्कर मैं रहते थे ! मेरा उन भाईसाहब के घर आना जाना था जिस बजह से मेरी थोड़ी जान पहचान उस गुलदस्ते से हो गई, और मैं ठहरा थोडा भावुक इंसान उसकी बेचारगी मुझसे देखी नहीं गई, मैंने उससे कहा यार तू जितनी जल्दी हो अपनी बीबी और इनकी साली को यहाँ से लेकर निकल ले ! वो बोला क्यों आप ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैंने कहा अबे तेरी बीबी का जीजा मतलब तुम्हारा साढू जबसे तुमलोग आये हो छत पर सो रहा है ! वो वोला तो इसमें कौन सी बुरी बात है मैं भी भाईसाहब के साथ सोता हूँ अलग खटिया पर ! मैंने कहा अबे आज मालूम है तुम्हारा साढू कौन सा गाना सुन रहा था ! वो बोला कौन सा मैंने कहा ” लाम्बा – लाम्बा घूंघट काहे को डाला, क्या कर आई जाके मुंह कहीं काला ! छत पे सोया था बहनोई मैं तने समझ के सो गई, मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई !”” बो बोला तो इसमें क्या बात है पसंद अपनी – अपनी गाना सुनने मैं क्या बुराई है ! मैंने कहा अबे तू बड़ा भोला है  गाने पे मत जा भावनाओं को समझ ” देख तेरा साढू छत पर तुझे लेकर सोता है, किसी दिन तेरी बीबी और उसकी साली गलती से छत पर तुझे समझ कर उसके साथ सो जाए और वो उसके साथ मुंह काला करले ! फिर बेटा तेरी बीबी यही गाना गाएगी  छत पे सोया था बहनोई मैं तने समझ के सो गई, मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई !” इसलिए कह रहा हूँ गाने पर मत जा अपने साढू की दुर्रभावनाओं को समझ और खुद को राणा जी होने से बचा ! उसने मेरी भावनाओं को समझा और अगली गाडी से अपनी बीबी को लेकर ऐसे भागा जैसे सचिन तेंदुलकर तब भागे थे जब उन्होंने अपना दोहरा शतक पूरा करने वाला रन लिया था ! खैर उस एक साली को तो मैंने बचा लिया मगर यार मैं हर जगह तो नहीं होने वाला ! इसलिए भगवान् ऐसी भोली सालियों को ऐसे बदमाश जीजाओं से बचाए !
 

 

 

 

 

 

 

 

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