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सच्चाई की तलाश मे, पूरे होश हवाश मे घर से बाहर निकला । रोड पर आते ही एक चाय की दुकान पर रुका , सोचा यहॉं कोई सच बोलने वाला मिल जाय तो उसके साथ मित्रता बना ली जाय लेकिन यहॉं तो विशुद्ध राजनीतिक चर्चा जिसमे श्रोता कम और वक्ता ज्यादा थे। कुछ देर सबके आवेश पूर्ण वार्तालाप को सुनकर मुझे लगा कि मै किसी अनौपचारिक TV debate के शो पर आ गया हूॅं, क्योंकि यहाॅं हर वक्ता अपने को सही बता रहा था । मजे की बात थी कि सुनने वाले तालियाॅं सभी के तर्कों पर बजा रहे थे। कुछ ही देर मे मै समझ गया कि ये तो राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता हैं।अब तक ये समझ आ गया था कि ये लोग हमारे काम के नही हैं क्योंकि इनको हर बात मे राजनीतिक नफा-नुकसान ढूढ़ने की आदत है। मै भी तो नफा- नुकसान ढूढ रहा हूॅं जिसमे नफा तो देश का हो क्योंकि देश की तरक्की होगी तो सबका विकास होगा और नुकसान देश द्रोहियों का। जीवन मे यदि विश्वास करना तो अपने आप पर करें। अपने निजी हितों के लिए राष्ट्र को नुकसान न पहुंचाएं।
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