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सुप्रीम कोर्ट की मंशा तो प्रदूषण से लड़ना था लेकिन हमने तो पटाखों को हिन्दु मुसलमान बना दिया। पहले रंगो को हिंदु मुस्लिम बनाया आज पटाखे और कल और क्या- क्या बनाएंगे? दिल्ली मे पिछली दिवाली पर जो प्रदूषण था आज भी मुझे याद है कि घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। भगवान श्री राम का स्वागत मिट्टी के दिए जलाकर करें। मुझे अफसोस है कि मेरे विचारों से ७७ प्रतिशत लोग सहमत नहीं है लेकिन मै ये नहीं जान पाया कि इन ७७ प्रतिशत लोगों मे से जिन्होने रिपब्लिक टीवी पर वोटिंग की उसमे से कितने लोग पिछले साल दिवाली मे दिल्ली मे थे। मै तो सोच रहा था कि हम इतने जागरूक हो जाते कि खुद को पटाखे जलाने से बैन कर देते तो आज बहस ही न होती। किसी भी धर्म मे घृंणा के लिए कोई स्थान नहीं है, काश मेरे विचार भी धार्मिक हो जाते।जो श्री राम के स्वागत मे पटाखे फोड़ने को आतुर हैं उनके घरों मे भी श्री राम की तस्वीर नहीं मिलेगी दिल मे राम है ऐसा तो सोचना भी अपराध होगा।जिन्होंने राम को दिल मे बसा लिया उन्हें पटाखों से क्या लेना देना।।
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