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पश्चिम उत्तर प्रदेश में आय दिन होने बाले दंगो ने यह साफ कर दिया है की वोटो की राजनीती इस हरित इलाके में नफरत के बीज बोने के बाद उसकी फसल काटने पर उतारू है , हिन्दू – मुस्लिम और अब सिख भी
जाति आधारित राजनीती के विफल रहेने पर अब धार्मिक आधार पर बटवारा !अगले विधान सभा चुनावो में सत्ता की ललक सभी डालो के नेताओ की मति भर्म कर गयी है |
क्युकी जाति बाद का मुद्दा दम तोड़ता दिख रहा है ! अभी तक ये लोग येन केन प्रकरेण वोटो का ध्रुविकर्ण , तुस्ती कर्ण , राजनितिक सरक्षण , उन्माद के रास्ते अभी तक तो सत्ता तक जाते रहे है |
जिसमे सारे दल होड़ कर रहे है ,सत्ता से बंधा प्रशासन पूर्ण रूप से पंगु बना हुआ है और हर थाना – दरोगा तक लखनऊ से मोबाईल फोन से कण्ट्रोल होता है |
सुनियोजित रूप से छोटी घटनाये, बड़ी बना दी जाती है |
दंगाई किसी एक धर्म के नही है पर निर्भर यह है की उकसाने पर कोन लोग सडको पर खुलेआम हेवानियत का नंगा नाच करने लगते है |
फिर निष्पक्ष कार्यवाही नही होने से , आग में घी की तरह और आग भड़कती है जिससे मुजफरनगर जेसे बुरे परिणाम ही आते है |
अब लोकसभा चुनाव की परिणामो से अगर राजनीती ने सबक नही लिया तो इस खेल के खिलाडी अपनी मात अपने हाथो से लिख रहे है क्युकी जनता अब विकास और दूसरी सामाजिक समस्याओ पर वोट देती है डर जाति और धर्म की राजनीती खत्म हो गयी है | अब धार्मिक आधार के दंगे अपने उत्प्रेरक कारणों को ही खत्म कर देंगे |कहा जा सकता है राजनीती अपने हाथो अपनी कब्र खोद रही है !
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