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हर अश्लीलता पर रोक जरूरी है !

उलझन ! मेरे दिल की ....
उलझन ! मेरे दिल की ....
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केंद्र सरकार ने हाल में ही कुछ अश्लील वेब साइटों पर रोक लगा कर सही दिशा में पहला कदम उठा ही लिया है !
महिलायो और बालको के प्रति बड़ते अपराध और दूषित होता सामाजिक चरित्र , लम्बे समय से यह महसूस किया जा रहा था की खुले आम चलते इस कारोबार पर अब रोक लगे !
इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिये ,इन्टरनेट और
स्मार्ट फ़ोन के प्रचालन के बाद से,बड़े पैमाने पर ये जहर युवा वर्ग में
मानसिक प्रदूषण पैदा कर रहा था ! जिससे उनका भविष्य और वर्तमान पतन की
राह पर अग्रसर होने लगा था !इस प्रकार के प्रसारण पर रोक लगना अच्छी
शुरुआत है जिसको एनी सभी स्रोतों पर रोक लगाने तक ले जाना होंगा !
परन्तु यौन सिंड्रोम से ग्रसित एक अभिजात्य वर्ग ने स्वत्रंतता के नाम
पर इसका विरोध करना शुरू कर दिया है ! जिससे उनका सामाज के प्रति
जिम्मेदारी के बदले वेयक्तिगत असामान्य सुख का भाव स्पष्ट हो रहा है ! ये लोग अजंता एलोरा से लेकर अपनी मर्जी की बात कर रहे है ! आप उन सब लोगो का जीवन और इतिहास ध्यान से देखिये तो खुद जबाब समझ आ जायेंगे ये ये लोग क्या चाहते है क्यों चाहते है !
जबकि सविधान में भी इस प्रकार के प्रतिबन्द हर स्वत्रंतता पर लगाये जाने
के प्रावधान अपवाद रूप में दिए गये है है ! ताकि समाज और देश हित में स्वत्रंतता का गलत उपयोग ने
किया जा सके ! कुछ लोग वैयक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर इसका विरोध कर रहे है जबकि ,
२०१० में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है |कि बंद कमरे में पॉर्न फिल्म देखना अपराध नहीं है।
अदालत के मुताबिक अगर सार्वजनिक स्थान पर ऐसा नहीं किया जा रहा है तो यह अश्लीलता कानून के दायरे में नहीं आता।
जस्टिस ताहिलरमानी ने अपने फैसले में कहा कि ‘ कोई अश्लील चीज देखना अपने आप में कोई अपराध नहीं है।
यह अपराध तब बनता है जब इसके साथ बेचने, खरीदने, वितरित करने या सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करने का इरादा जुड़ता है।
अगर कोई अश्लील वस्तु किसी घर में निजी इस्तेमाल के लिए हो तो अश्लीलता का मामला नहीं बनाया जा सकता। ‘ जबकि इन्टरनेट पर खुले आम और सबके लिए ये सब उपलब्द है ! जो अपराध में आ सकता है ! बानगी देखिये इन अपराधियों की जिसमे सीबीआई को भी कार्यवाही करनी पड़ी है !
हाल ही में सीबीआई ने पोर्न क्लिप और अश्लील एमएमएस बनाकर वेबसाइट तथा सोशल मीडिया में जारी करने वाले देश के सबसे बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया।
केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने इस मामले के सरगना को कल बेंगलूरू से गिरफ्तार किया।
उससे पास से 500 से अधिक पोर्न क्लिप मिली हैं, जिनमें महिलाओं के साथ ही बच्चों को भी आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया है।कुछ ही महीने पहले ही देष के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने भी नेट पर परोसे जा रहे नंगे बाजार पर चिंता जताई थी। यह विश्वव्यापी है और जाहिर है कि इस पर काबू पाना इतना सरल नहीं होगा। लेकिन दुर्भाग्य है कि हमारे देश के संवाद और संचार के सभी लोकप्रिय माध्यम देह-विमर्श में लिप्त हैं, सब कुछ खुले आम सीना ठोक कर हो रहा है। अखबार, मोबाईल फोन, विज्ञापन; सभी जगह तो नारी-देह बिक रही है। अब नए मीडिया यानि वाट्सएप, वी चेट जैसी नई संचार तकनीकों ने वीडियो व चित्र भेजना बेहद आसान कर दिया है और कहना ना होगा कि इस नए संचार ने देह मंडी को और सुलभ कर दिया है।
चीन में जहां पूरे देश में किसी भी तरह की पोर्न साईट या फेसबुक पर पूरी तरह पाबंदी है। एक तो उन्हें खोला ही नहीं जा सकता, यदि किसी ने हैक कर ऐसा कुछ किया तो पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान हे। बीजिंग में वाई-फाई और थ्रीजी युक्त मोबाईल आम हैं, लेकिन कोई गलत प्रयोग नही कर सकता !
पुरुष- की प्राकृतिक मनोदशा, उपलब्धता और अधिकांश रूप से मुफ्त में उपलब्ध होने के कारण इसका जितना प्रचार हो रहा है उतना शायद ही किसी का हुआ हो | उस पर भी कूड़े को खोदो वाली स्थिति होती है जब उसके संपर्क में अधिकांशतः नवयुवा, युवावर्ग आता है | हर चीज़ देखने को आतुर यह आयु कब इसकी आदी हो जाती है उन्हें पता ही नहीं चलता | जिसमे आजकल महिलाये भी जुड़ रही है !

अपने अभी तक के इन्टरनेट अनुभव के आधार पर इस के कुछ कुप्रभाव लिखता हूँ;

१- समय की बर्वादी – नवयुवा जो अपना ध्यान अपने स्वस्थ्य, परिवार, पढाई और मानसिक विकास में लगा सकता बह समय खराब करता है |
२- यौन अपराध बड गये है -देश की राजधानी में ही रोज़ एक बलात्कार होता है, क्या यह कुंठित मानसिकता में बढ़ोत्तरी दिखाता है और बढता जा रहा है !
कितनी पशुता और क्रूरता भर रही है मन में !
३- इन साइट्स में दिखने वाली वस्तु नहीं जीवित मनुष्य होते हैं | देह व्यापार, खरीद फरोक्त, अपहरण, जबरन फिल्माया जाना, धोके से फिल्माया जाना और ना जाने क्या क्या अपराध इसमे होते है |
और ऐसी साइट्स को पालने, चलाने, सहयोग करने वाले हम आपमें ही छुपे बैठे लोग होते हैं जो ज्ञान, मान सम्मान कि दिन रात गंगा बहते हैं किन्तु इनके घ्रणित और सड़े हुए मस्तिष्क इस हद तक गिरे रहते हैं कि मित्र मित्र कहते कहते एक दिन आपके ही घर को निशाना बना दें |

४- इन साइट्स को ऑफिस या कार्यस्थलो में भी देखा जाता है, कुछ सर्वे इसे कुल कर्योत्पदक समय का वीस प्रतिशत तक बताते हैं, |

५- इन साइट्स का ट्रैफिक पाइरेसी और वायरस वाली साइट्स के साथ शेयर होता है | ये तीनों नेटवर्क एक दुसरे के साथ ट्रैफिक शेयर करते हैं जो आपस में मिल कर इन्टरनेट का अपराधीकरण कर रहे है |उनका फायदा और लोगो का नुकसान होता है
६- ऐसी सामग्री फ्री में देने वाली साईट अपनी कमाई पेड वेबसाईट को ट्रैफिक भेज कर कमाती हैं और उससे भी बड़ा हिस्सा आता है प्रयोग करने वाले के कंप्यूटर में वाइरस डाल कर | प्रयोक्ता समझता है कि उसने कुछ डाउनलोड नहीं किया तो उसका कुछ नहीं गया किन्तु वास्तविकता यह है कि किसी फ्लैश विडियो को चला कर, किसी PDF फ़ाइल को खोल कर यहाँ तक कि किसी वर्ड फ़ाइल से भी आपके सिस्टम में वाइरस आ सकता है |

मेरा मत यह है की अश्लीलता के सभी साधन तुरंत बंद किये जाये जिसमे पत्रिकाए , अखबारी विज्ञापन , चित्र , दूरसंचार, केबल, इन्टरनेट या अन्य अभी आने सामने आने बाले साधन हो ! चीन में शाम ५ बजे से टीवी पर कोई बच्चो की फिल्म आदि नही आती ताकि उस समय बच्चे खेल सके उनका समग्र विकास हो ! एक अच्छी जिम्मेदार पीढ़ी के निर्माण के लिए ये प्रतिवंध बेहद जरूरी है !

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